चंडीगढ़ : अगर आपके बच्चे के दिल में छेद है और उसकी आयु 0 से 18 साल के बीच है तो घबराएं नहीं। केंद्र सरकार की राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत ऐसे बच्चों की सर्जरी बड़े सरकारी और प्राइवेट अस्पताल में निशुल्क की जाती है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) हरियाणा अब तक ऐसे 3360 बच्चों की सफल सर्जरी करवा चुका है, जिनके दिल में छेद या अन्य तरह की दिक्कत थी। खास बात यह है कि ये सभी सर्जरी आरबीएसके के तहत निशुल्क हुई हैं। इसके लिए एनएचएम की हरियाणा में 211 ईकाईयां दिनरात काम कर रही हैं। एनएचएम आरबीएसके के तहत इन चार (डी) पर कर रहा काम : जन्म संबंधी विकार : भारत में जन्म संबंधी विकारों से ग्रस्त बच्चों की संख्या सर्वाधिक है।
साल में एक अनुमान के तहत देश में 1.7 मिलियन बच्चों में जन्म संबंधी विसंगति प्राप्त होती है, जो नेशनल नियोनेटोलॉजी फोरम के अध्ययन के अनुसार मृत जन्में बच्चों में मृत्युदर (9.9 प्रतिशत) का एक कारण है। कमियां : देखने में आया है कि पांच वर्ष तक की आयु के लगभग आधे (48 प्रतिशत) बच्चे अनुवांशिक तौर पर कुपोषण का शिकार है। जो कमजोर होते हैं या फिर उनका वजन अपनी आयु से कम होता है। ज्यादा बच्चे कुपोषण से भारी मात्र में प्रभावित है। लोह तत्व की कमी के कारण बच्चे अनीमिया का शिकार हो जाते हैं। बीमारियां : स्कूल जाने वाले भारतीय विद्यार्थियों में 50-60 प्रतिशत बच्चों में दांत से संबंधित बीमारियां है। 5-9 वर्ष के विद्यार्थियों में से प्रत्येक हजार में 1.5 और 10-14 आयु वर्ग में प्रति हजार 0.13 से 1.1 बच्चे हृदय रोग से पीड़ित है।
इसके अलावा 4.75 प्रतिशत बच्चे दमा सहित श्वसन संबंधी विभिन्न बीमारियों से पीड़ित है। विकास संबंधी देरी और विकलांगता : गरीबी, कमजोर स्वास्थ्य और पोषण व संपूर्ण आहार में कमी के करण कुछ बच्चों में समग्र विकास नहीं हो पाता। बच्चों में विकास संबंधी यह अवरोध उनके कमजोर विकास का संकेतक है।