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करनाल के सरकारी स्कूल दे रहे प्राइवेट स्कूलों को टक्कर, प्राइवेट स्कूलों से बच्चें भी हो रहे आकर्षित

हरियाणा के करनाल में इन दिनों सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, नतीजन प्राइवेट स्कूलों के बच्चे भी सरकारी स्कूलों में दाखिला के लिए जोर आजमाइश कर रहे है। राजकीय गल्र्स सीनियर सैकेंडरी संस्कृति स्कूल में एडमिशन के लिए मारा-मारी मची है। क्योंकि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई के स्तर में काफी सुधार हुआ है साथ ही सुविधाओं में काफी बढ़ोतरी। इसके अलावा करनाल में 8 मॉडल संस्कृति तो 9 पीएम श्री स्कूल बनाए गए है। जिनमें उच्च स्तर की एजुकेशनल सुविधाएं उपलब्ध कराई गई है। सरकारी स्कूल के मुखिया की माने तो अब हमें सीट पूरी करने के लिए घर-घर दस्तक देने की जरुरत नहीं होती, क्योंकि अब सीटों के लिए टेस्ट लेने पड़ते है, तब जाकर एडमिशन होता है।

स्कूल टीचर्स ने जानकारी देते हुए कहा सरकारी स्कूल किसी भी मायनों में प्राइवेट स्कूलों से कम नहीं है। सरकारी स्कूल में सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों के बच्चे पढ़ रहे है, बहुत अच्छे परिवारों के बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे है। उन्होंने कहा कि संस्कृति स्कूल के हर क्लासरूम में डिजीटल बोर्ड बनाए गए है, स्कॉलरशिप दी जा रही है, इसके अलावा अन्य योजनाओं के तहत भी बच्चों को स्कॉलरशिप मिल रही है। उन्होंने कहा कि सरकार की सभी योजनाएं यहां पर लागू होती है, स्कूल में एजुकेशन के साथ कोई समझौता नहीं किया जाता है। फिर भी लोगों के जहन में होता है कि सरकारी स्कूलों में टीचर्स बच्चों को नहीं पढ़ाते है जबकि यहां पर ऐसा नहीं है। हर क्लासरूम में टीचर्स होता है, कोई क्लास खाली नहीं रहती।

स्कूलों में सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है। अब तो कई स्कूल सीबीएससी बोर्ड में कन्वर्ट हो चुके है, जहां प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन काफी मोटा होता है, फिर भी टयूशन फीस के लिए बच्चों को भागना पड़ता है। जबकि सरकारी स्कूलों में बच्चों पर पूरा फोक्स किया जाता है, टयूशन की जरुरत नहीं होती। हर बच्चे पर पूरा ध्यान दिया जा रहा है। स्कूली छात्रा शेजल ने बताया हमारे स्कूल में पढ़ाई काफी अच्छी है, टीचर्स अपने आइडिया को हमारे साथ शेयर करते है। प्रार्थना होती है उसके बाद रोज की न्यूज के बारे में बताया जाता है, जीके के प्रश्न पूछे जाते है ताकि जीके मजबूत हो सके। इसके अलावा उनके टीचर्स अंग्रेजी काफी अच्छे से पढ़ाते है, मनोविज्ञान के बारे में पढ़ाया जाता है। जिससे उन्हें पता चलता है कि मानव के व्यवहार को कैसे समझा जाए। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूल प्राइवेट स्कूलों से किसी भी मायनों में कम नहीं हे।

स्कूल छात्रा सनोली ने बताया में सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध है, डिजीटल बोर्ड बनें हुए है। इसके अलावा बच्चों के पास अलग-अलग टैब हैं। जिससे वे अपना पेज डवलेप कर सके कुछ नया कर सकें। इन सभी कामों में स्कूल के टीचर्स पूरा सहयोग करते है। उन्होंने कहा कि स्कूल में अलग-अलग लैंज्वेज के टीचर्स काफी अच्छे से पढ़ाते है, जहां प्राइवेट स्कूलों में ज्यादा फीस होती है, उसके मुकाबले सरकारी स्कूलों में फीस बहुत कम होती है।सरकारी स्कूलों में एजुकेशनल सुविधाओं में लगातार वृद्धि हो रही है। सरकार ने जिला में 8 स्कूल मॉडल संस्कृति स्कूल, 9 पीएम श्री बनाएं है, जो सभी सीबीएससी से मान्यता प्राप्त है। इन स्कूलों में सभी सुविधाएं उपलब्ध है। अब तो स्थिति ऐसी है कि प्राइवेट स्कूलों के बच्चे भी सरकारी स्कूलों में दाखिला के लिए आ रहे है। इसके पीछे का कारण है कि सरकारी स्कूलों में फीस काफी कम है जबकि पढ़ाई प्राइवेट स्कूलों के मुकाबले में बराबर है।

टीचर्स क्वालिफाइड है, लैब बन रही है। उन्होंने कहा कि पिछले 3 सालों से ट्रेड बदल रहा है, हर साल 2 सौ से लेकर 3 सौ बच्चे प्राइवेट स्कूलों से उनके स्कूल में दाखिला ले रहे है। पहले जहां सीट पूरी करने के लिए घर घर जाना पड़ता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। एडमिशन के लिए मारा मारी चल रही है। टेस्ट लेकर बच्चों के एडमिशन करने पड़ रहे है। यहीं नहीं स्कूल में पढ़ाई के साथ साथ नेशनल स्तर की प्रतियोगिताओं में बच्चे भाग ले रहे है, जो गर्व की बात है।

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