नूंह : सरकार और बागवानी विभाग का प्रयास है कि जिले में फलों की खेती को बढ़ाया जाए। नूंह जिले के मार्केट में फलों से लदी रेहड़ियों की तो भरमार है, लेकिन इस जिले में फलों की पैदावार कम है। जिला बागवानी अधिकारी डॉक्टर दीन मोहम्मद ने बताया कि अमरुद, अनार, पपीता, मौसमी, नींबू, किन्नू फलों की खेती पर सरकार सब्सिडी देती है। उन्होंने बताया कि प्रति एकड़ 50000 रुपए की सब्सिडी दी जाती है। अगर कोई किसान मेरा पानी – मेरी विरासत स्कीम के तहत चेंज करके फलों की खेती करता है तो उसको यह राशि दी जाती है। अगर कोई बिना मेरा पानी – मेरी विरासत स्कीम के फलों की खेती करता है तो उसकी तीन टर्म में 43000 की सब्सिडी जाती है।
सबसे पहले 23000 तथा दूसरी – तीसरी बार 10 -10 हजार रुपए की राशि दी जाती है। उन्होंने कहा कि अनार, मौसमी, किन्नू, बेर, अमरुद, खजूर, पपीता इत्यादि की खेती पर बागवानी विभाग सब्सिडी देता है, लेकिन अंजीर वगैरह की खेती पर सब्सिडी नहीं है और ना ही बागवानी विभाग किसानों को अंजीर लगाने की सलाह देता है। लेकिन बावजूद इसके किसान खजूर, अंजीर इत्यादि की खेती लगाकर नए प्रयोग कर रहे हैं। उनकी कोशिश है कि यह जमीन इन फसलों के लिए कितने उपयोगी हैं। नूंह जिले के मांडीखेड़ा गांव में किसान, जामुन, आंवला, बेर, अमरुद, चीकू, अनार इत्यादि के साथ – साथ अंजीर की भी खेती कर रहा है। किसान का मानना है कि यहां की खेती इन फलों की खेती के लिए बेहद उपयोगी है।
इन फलों को न केवल खाने – पीने में इस्तेमाल किया जा रहा है अगर जरूरत पड़ती है तो बेचा भी जा रहा है। उनका कहना है कि किसी मदर प्लांट की तरह इन फलों के पौधों को तैयार कर रहे हैं ताकि अच्छी वैरायटी व क्वालिटी तैयार करके न केवल किसानों की आमद को बढ़ाया जाए बल्कि इस भूमि में भी फलों की खेती लगाकर एक इतिहास कायम किया जा सके।आपको बता दें कि नूंह जिले में अधिकतर किसान परंपरागत खेती करते हैं। जिसमें गेहूं, सरसों, ज्वार – बाजरा की फसल मुख्य हैं। लेकिन अब धीरे – धीरे सब्जी फसलों के साथ – साथ फलों की खेती पर भी किसान फोकस कर रहा है।