पलवल: जिला की अदालतों में शनिवार को राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण के चेयरमैन पुनीश जिंदिया के नेतृत्व तथा मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एवं डीएलएसए के सचिव कुनाल गर्ग के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय लोक अदालत में केसों का निपटारा करने के लिए जिला अदालत पलवल, होडल एवं हथीन की अदालतों में राष्ट्रीय लोक अदालतें लगाई गई। इन लोक अदालतों में कुल 3 हजार 671 केसों में से 2 हजार 240 केसों का निपटारा किया गया।
जिला एवं सत्र न्यायाधीश पुनीश जिंदिया तथा मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कुनाल गर्ग द्वारा राष्ट्रीय लोक अदालत के लिए जिला न्यायिक परिसर पलवल में सभी मामलों के निपटान के लिए जिला एवं सत्र न्यायाधीश पुनीश जिंदिया, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राजेश गर्ग, प्रधान पारिवारिक न्यायधीश कुमुद गुगनानी, मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी पूनम कंवर, प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट विनती एवं प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट मीता कोहली की न्यायिक पीठें पलवल में बनाई गईं। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राजेश गर्ग ने कहा मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है। इसमें चौक हुए लीगल सिस्टम को स्मूथ करने में मीडिया अपने महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी कुनाल गर्ग ने राष्ट्रीय लोक अदालत के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालतों में वाहन दुर्घटना मुआवजा, बैंक वसूली, राजीनामा योग्य फौजदारी मामले, बिजली एवं पानी के बिल संबंधी मामले, श्रम विवाद, सभी प्रकार के पारिवारिक विवाद, चैक बांउस, राजस्व मामले आदि को रखा गया। इस राष्ट्रीय लोक अदालत में इन विवादों के निपटारे के लिए सुलह एवं समझौते के आधार पर निपटारे के प्रयास किए गए, जिसके चलते राष्ट्रीय लोक अदालतों में पारिवारिक मामलों में 12 में से 11 मामलों का सहमति से निपटाया गया। फौजदारी के 552 मामलों में से 246 मामलों का निपटारा हुआ। चैक बाउंस के 100 केसों में से 18 मामले आपसी सहमति से निपटाए गए। वाहन दुर्घटना के 82 मामलों में से 27 मामलों को निपटाया गया। बैंक वसूली के 217 में से 177 मामले निपटाए गए। अन्य दीवानी मामलों में 334 केसों में से 181 मामले निपटाए गए। इस राष्ट्रीय लोक अदालत में मोटर व्हीकल एक्ट/बिजली चोरी के 592 मामलों की भी सुनवाई की गई।
फैमिली कोर्ट की प्रिंसिपल जज कुमुद गुगनानी ने राष्ट्रीय लोक अदालत और फैमिली कोर्ट के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि हमारा उद्देश्य परिवारों को जोड़ना है। बिखरते और टूटते रिश्तों को पुनः पटरी पर लाने के हमेशा प्रयास किए जाते हैं। ताकि परिवारों के अलगाव का असर उनके बच्चों पर ना पड़े। दोनों कहां की माता-पिता के अलग-अलग रहने वाले बच्चों का मानसिक विकास सामान्य बच्चों के समान नहीं होता है। उन्होंने अपनी कोर्ट का एक फैसले का जिक्र करते हुए कहा राष्टीय लोक अदालत एक मामला आया जो वर्ष 2015 से चल रहा था। पति और पत्नी दोनों ही तीन-तीन बार शादी कर चुके थे और दो-दो बार उनका तलाक हो चुका था। लेकिन तीसरी बार फिर अदालत में तलाक के लिए अर्जी लगाई हुई थी। पति-पत्नी दोनों को समझानेने के बाद उन्होंने अपनी अपनी अर्जी वापस ले ली। और एक अर्जी वापस लेने से दोनों के कुल मिलाकर 10 और कैसे जो अलग-अलग में चल रहे थे वह भी समाप्त हो गए।