चंडीगढ़: हरियाणा स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार राज्य के 30643 परिसरों में पानी ठहराव के कारण मच्छरों का प्रजनन हुआ है। जिस कारण मच्छर से होने वाली बीमारियों का अंदेशा बढ़ा है। इसे लेकर 30643 भवन मालिकों को नोटिस भी जारी किया गया हैं। वहीं राज्य के 12 जिलों में बाढ़ के बाद चर्म रोग के सबसे अधिक केस सामने आ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक अभी तक 11205 लोग चर्म रोग का शिकार हो चुके हैं। सबसे अधिक केस अंबाला और फतेहाबाद से आ रहे हैं। वहीं, बुखार के भी 8650 केस सामने आए हैं। प्रदेश में बाढ़ के बाद डेंगू भी तेजी से फैल रहा है। अभी तक 167 लोग डेंगू के डंक का शिकार हो चुके हैं जबकि एक व्यक्ति की डेंगू से मौत भी हो गई है।
वहीं स्वास्थ्य विभाग ने जलभराव के बाद लोगों को पानी से होने वाली बीमारियों से निजात दिलाने के लिए कैंप लगाने शुरू कर दिए हैं। लोगों का कैंपों में इलाज किया जा रहा है। साथ ही उन्हें रोगों से बचाव के लिए जागरूक भी किया जा रहा है। बुखार के 8650 केस आए सामने, आंख आने के केस बढ़े प्रदेश में बाढ़ के बाद आंतशोथ के 2070, बुखार के 8650, पीलिया का 01, सांप काटने के 44 केस सामने आए हैं। वहीं, आंख आने के भी केस बढ़ रहे हैं। अभी तक 3247 लोगों को आंख से संबंधित एलर्जी हुई है। जिसके कारण उनकी आंख आ गई। यह एक व्यक्ति से दूसरे तक भी जल्दी से होती है। आंख आने की बीमारी से ग्रस्त लोगों को भी स्वास्थ्य विभाग ने काला चश्मा पहनने की सलाह दी है। वहीं इस दौरान कम से कम चीजों को छूने के लिए कहा है ताकि दूसरों को इस बीमारी से बचाया जा सके। डेंगू के 167 केस, जींद में सबसे अधिक 55 प्रदेश में डेंगू के 167 केस मिले हैं जबकि नूह में डेंगू से एक व्यक्ति की मौत हो गई है।
सबसे अधिक केस जींद में 55 मिले हैं। इसके अलावा अंबाला में 03, चरखी दादरी में 04, फरीदाबाद में 01, गुरुग्राम में 08, हिसार में 02, झज्जर में 04, कैथल में 01, करनाल में 08, नूह में 05, पलवल में 01, पंचकूला में 05, रेवाड़ी में 21, रोहतक में 18, सिरसा में 04, सोनीपत में 13 और यमुनानगर में 14 केस मिले हैं। स्वास्थ्य विभाग ने उठाए ठोस कदम : सभी जिलों में मलेरिया के लिए घर-घर निगरानी बढ़ा दी गई है। मई से अक्तूबर तक प्रत्येक माह की 01 से 10 तारीख तक रैपिड फीवर सर्वे किया जा रहा है। मलेरिया के लिए बुखार के मामलों की जांच के लिए सभी गांवों में अभियान चलाया गया है। सभी जिलों में डेंगू की जांच को मजबूत किया गया है। ब्लड सैंपलिंग भी शुरू हो गई है। उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों पर ध्यान देने के साथ-साथ सीएचसी/पीएचसी स्तर पर राज्य में कुल 27 डेंगू परीक्षण प्रयोगशालाएं कार्यरत हैं। प्रत्येक जिले में कम से कम एक प्रयोगशाला है।
इसके अलावा निजी अस्पतालों/प्रयोगशालाओं को अधिकतम 600 रुपये शुल्क लेने के लिए प्रतिबंधित किया गया है। सिविल अस्पताल में डेंगू मरीजों के लिए 170 वार्ड और 1085 बेड आरक्षित रखे गए हैं। 01 जुलाई से कुल मिलाकर 510 घरेलू प्रजनन जांचकर्ता (डीबीसी) तैनात किए गए हैं। पिछले वर्ष डेंगू के प्रकोप को देखते हुए पंचकूला के कालका और पिंजौर में 50 डीबीसी 01 अप्रैल से पहले ही तैनात किए जा चुके हैं। हिमाचल के साथ बैठक हुई है। शहरी स्थानीय निकाय एवं पंचायत विभाग द्वारा फॉगिंग करवाई जा रही है। राज्य में कुल 5606 हस्तचालित एवं 43 वाहन स्थापित फॉगिंग मशीनें उपलब्ध हैं। गम्बूसिया मछली को मदर फिश हैचरी से जल निकायों में छोड़ा जा रहा है। कुल 8842 जल निकायों की पहचान की गई। लगभग 8000 जल निकायों में गंबूसिया बोया गया है।