हरियाणा: जिले में दीपावली पर धन लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए मिट्टी के दीये बनाने वाले कुम्हारों के चाक ने गति पकड़ ली है. उन्हें इस बार अच्छी बिक्री की उम्मीद है. कुम्हारों की बस्ती में उनके परिवार मिट्टी का सामान तैयार करने में व्यस्त हो गए हैं. घरों में मिट्टी के दीये, मटकी आदि बनाने के लिए माता-पिता के साथ उनके बच्चे भी हाथ बंटा रहे हैं। कोई मिट्टी गूंथने में लगा है तो किसी के हाथ चाक पर मिट्टी के बर्तनों को आकार दे रहे हैं।
इस दौरान पके हुए मिट्टी के बर्तनों को व्यवस्थित रखने का जिम्मा परिवार के लोग संभाल रहे हैं। मालूम हो कि दीपावली पर्व पर धन लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए मिट्टी के दीपक जलाए जाते हैं। मिट्टी गढ़कर उसे आकार देने वालों पर शायद धन लक्ष्मी मेहरबान नहीं है, जिस चलते वे अपने परंपरागत धंधे से विमुख होते जा रहे हैं. दीपावली पर्व पर मिट्टी का सामान तैयार करना उनके लिए महज एक सिजनल काम बनकर रह गया है। अगर वे दूसरा काम नहीं करेंगे तो दो जून की रोटी जुटा पाना उनके लिए मुश्किल हो जाएगा।
मिट्टी के बर्तनों के कारोबार से जुड़े कुम्हार महिला-पुरुष का कहना है कि दीपावली और गर्मी के सीजन में मिट्टी से निर्मित बर्तनों की मांग बढ़ जाती है, लेकिन बाद के दिनों में वे मजदूरी कर किसी तरह अपना और अपने परिवार का पेट पालते हैं। सरकार की ओर से किसी तरह की सहायता नही मिल रही है। वहीं दूसरी तरफ बाजारों में इलेक्ट्रानिक्स झालरों की चमक दमक के बीच मिट्टी के दीपक की रोशनी धीमी पड़ती जा रही है. इस चलते लोग दीपकों का उपयोग महज पूजन के लिए ही करते हैं। इस कारण उन्हें अपनी मेहनत का उचित मेहनताना नहीं मिल रहा। यही कारण है लोग इस काम को धीरे-धीरे छोड़ रहे हैं।