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बच्चे को दोषी बता शिक्षा को लेकर अपने फर्ज से नहीं भाग सकते स्कूल व सरकार : High Court

चंडीगढ़(आहूजा) : एक दिव्यांग बच्चे को उसकी मानसिक अवस्था के चलते मौलिक शिक्षा के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। अदालत ने कहा कि पहले दिव्यांग छात्रों को आगे बढऩे में समस्या आती थी लेकिन आज दौर बदल गया है। कानून भी मौजूद है, जो इनके अधिकारों की रक्षा कर सकता है।

अदालत ने अफसोस जताते हुए कहा कि सब कुछ मौजूद होने के बावजूद इसका पूरा लाभ दिव्यांग बच्चों को नहीं मिल पाता क्योंकि जिन्हें इनका पालन करने की जिम्मेदारी दी गई है, उनमें संवेदनाओं की कमी है।कोर्ट ने इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए हरियाणा, पंजाब व चंडीगढ़ को एक तंत्र विकसित कर कोर्ट जानकारी देने का आदेश दिया था। लेकिन कोर्ट के आदेश पर पंजाब व चंडीगढ़ ने अपना जवाब पहले ही दायर कर दिया लेकिन कोर्ट के बार बार के आदेश के बाद भी हरियाणा सरकार ने जवाब दायर नहीं किया।

हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू व जस्टिस अनिल खेत्रपाल की खंडपीठ ने हरियाणा सरकार को पांच हजार रुपए का जुमार्ना लगाते हुए इसे पीजीआई चंडीगढ़ में जमा करने का आदेश देते हुए जवाब डायर करने के लिए अंतिम मौका दिया। सुनवाई के दौरान हरियाणा व चंडीगढ़ की तरफ से कोर्ट को कहा गया कि स्कूल शिक्षा विभाग इस तरह की घटनाओं को ध्यान में रख कर कदम उठा रहा है।

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