मंडी शहर में एक साल पहले आए बड़े भूसख्लन को तिरपाल डालकर ढका

बीते साल प्रदेश में आई आपदा में 500 से अधिक लोगों की जाने गई, हजारों लोगों के मकान जमींदोज हो गए,

मंडी: बीते साल प्रदेश में आई आपदा में 500 से अधिक लोगों की जाने गई, हजारों लोगों के मकान जमींदोज हो गए, हजारों विद्यालय इस आपदा की भेंट चढ़ गए, संपर्क मार्ग बंद हो गए, सड़कें टूट गई, हजारों मकान आज भी खतरे की जद में हैं, सरकार ने कभी 12 हजार करोड़ का नुक्सान बारिश से होने का आकलन किया है, मगर एक साल बीत जाने के बाद भी इसका कोई पक्का इलाज नहीं हो सका। मंडी जिले में भी तीन दर्जन से अधिक लोग मौत का शिकार हुए हैं व करोड़ों संपत्ति खत्म हो गई है। अब आपदा प्रबंधन के नाम पर इसके ऊपर लाखों खर्च करके मंडी शहर के बीचों-बीच विश्वकर्मा चौक पर आए बड़े भूसख्लन को तिरपाल डालकर ढक दिया गया है।

तिरपाल को केवल फौरी राहत के लिए अक्सर डाला जाता है जबकि तेज बारिश व बंदरों के आतंक में तिरपाल के चीथड़े होने में समय नहीं लगता। प्रशासन के इस तरह जुगाड़ की खूब खिल्ली उड़ रही है। एक साल में केवल सर्वे ही होते रहे। यहां पर आईआइटी मंडी की टीमें भी सर्वेक्षण के लिए आई। भू-विज्ञान विभाग की टीम भी दिल्ली से दौरा कर चुकी मगर कोई भी उपाय मौके पर नहीं हुआ। इसके लिए जो पैसा सरकार की ओर से आया उससे भूसख्लन के ऊपरी भाग में शहर के अप्पर भाग को जोड़ने वाला रास्ता ही बनाया जा सका।

वह भी इतने खतरनाक भूस्खलन में कैसे टिकेगा, इसके लेकर भी खूब चचार्एं हैं। उपायुक्त मंडी अपूर्व देवगन ने कहा कि किसी भी आपदा से निपटने के लिए प्रशासन पूरी तरह से सतर्क है। 14 जून को जगह-जगह अभ्यास कर लिया गया है। 31 अगस्त तक पहाड़ों की कटिंग पर रोक लगा दी गई है। प्रशासन हर संभव कदम उठा रहा है। जरूरी बैठकें करके विभागों को आदेश दिए जा चुके हैं।


वहीं नागरिक सभा मंडी के प्रधान ओपी कपूर ने कहा कि मंडी शहर में पिछले साल हुए भूस्खलन लोगों के लिए जान माल का खतरा बने हुए हैं। इस बारे में उपायुक्त मंडी व मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर अवगत करवाया गया है कि इसका स्थायी हल किया जाए। साल बीत गया मगर कुछ नहीं हुआ। अब जब फिर से बरसात आ गई है तो जुगाड़ से काम चलाकर फिजूलखर्ची व पैसे की बबार्दी की जा रही है। विश्वकर्मा चौक पर आए भूसख्लन को रोकने हेतु कोई ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है।

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