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दिवाली के लिए दृष्टिहीन बच्चे बना रहे रंग बिरंगी मोमबत्तियां, पढ़ाई पूरी होने तक आत्मनिर्भर बनाने का है लक्ष्य

Blind Children Making Candles : दिवाली को लेकर बाजारों में चकाचौंध है, परन्तु इस दुनिया में बहुत से ऐसे लोग है जो इसे देखने में असमर्थ है। लेकिन हिमाचल के कुल्लू में एक ऐसा स्कूल है जो दृष्टिहीन बच्चों को आत्मनिर्भर बना कर त्योहारों का आंनद मनाने के योग्य बना रहा है। चंद्र आभा मेमोरियल.

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Blind Children Making Candles : दिवाली को लेकर बाजारों में चकाचौंध है, परन्तु इस दुनिया में बहुत से ऐसे लोग है जो इसे देखने में असमर्थ है। लेकिन हिमाचल के कुल्लू में एक ऐसा स्कूल है जो दृष्टिहीन बच्चों को आत्मनिर्भर बना कर त्योहारों का आंनद मनाने के योग्य बना रहा है। चंद्र आभा मेमोरियल स्कूल के दृष्टिहीन बच्चों के द्वारा इस दिवाली के अवसर पर दिये और मोमबत्तियां बनने का काम किया जा रहा है। स्कूल के बच्चों और स्टाफ के द्वारा इन दिनों कई रंगों की खूबसूरत मोमबत्तियां बनाई जा रही है।

स्कूल की सुप्रिटेंडेंट रक्षंदा ने बताया कि स्कूल में इन बच्चों के लिए पढ़ाई के साथ-साथ कई ऐसी एक्टिविटीज करवाई जाती है ताकि बच्चों का संपूर्ण विकास हो सके। त्यौहारों के समय में उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए कैंडल मेकिंग करवाई जा रही है, ताकि वह भविष्य के लिए भी तैयार हो सके। सुप्रिटेंडेंट ने बताया कि स्कूल में 35 दृष्टिहीन बच्चे पढ़ते है। जिनकी पढ़ाई यहां पर निशुल करवाई जाती है।

साथ ही यहां बच्चों को अलग-अलग तरह ही एक्टिविटीज के जरिए कौशल सिखाए जाते है ताकि पढ़ाई पूरी होने तक इन्हें हैंडीक्राफ्ट से जुड़ी कोई स्किल आ सके। इसी लिए यहां कैंडल मेकिंग और राखी मेकिंग का काम किया जाता है। दिवाली के लिए बनाई गई इन मोमबत्तियों को अब स्कूलों और कॉलेजों में जाकर बेचा जाएगा ताकि इससे इकट्ठे होने वाले फंड्स को इन बच्चों के लिए इस्तेमाल किया जा सके।

ब्लाइंड स्कूल में सिखाई जा रहे इन एक्टिविटीज को बच्चे भी बेहद पसंद करते है। ब्लाइंड स्कूल में पढ़ने वाली स्टूडेंट्स रक्षा और मानवी ने बताया को उन्हें कैंडल मेकिंग का यह कार्य बेहद पसंद आ रहा है। इस दौरान इन बच्चों ने न सिर्फ इसमें हिस्सा लिया बल्कि अपने हाथों से दीयों को भी रंगा। ऐसी नई चीजें सीखने से बच्चों को भी त्यौहार मनाने में और अधिक मजा आता है।

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