बंजार घाटी में शुरू हुआ फागली पर्व, मुखौटे पहनकर ग्रामीणों ने किया प्राचीन नृत्य

करथा फागली से शुरू हुआ उत्सव का दौर, इसी बीच अश्लील गालियों का सिलसिला भी शुरू हो गया है।

कुल्लू (सृष्टि) : कुल्लू की बंजार घाटी में मकर सक्रांति के बाद अब फागली उत्सव शुरू हो गया है। बंजार की पल्दी घाटी के कंढी गांव के साथ लगते करथा नाग देवता के मंदिर में क्षेत्र के विभिन्न गांवों से मुखोटा धारी लाव लश्कर के साथ यहां पहुंच गए हैं और अब नृत्य में जुट गए हैं। इसी बीच अश्लील गालियों का सिलसिला भी शुरू हो गया है। अब बंजार घाटी के विभिन्न इलाकों में भी ग्रामीणों के द्वारा मुखौटे पहनकर नृत्य किया जाएगा और पूरे इलाके में इस परंपरा का निर्वाह किया जाएगा।

इसके अलावा कोटला गांव से बराघ मंडीहाला भी यहां पहुंच गया है। इसके अतिरिक्त पढारणी गांव से शोट मंडीहाला दर्जनों मुखोटों के साथ वहां पहुंच गया है। इस नृत्य में शोट नामक मुखौटा सबसे आगे नृत्य करता है। घाटी के ग्रामीण देवराज गौतम, महेश शर्मा, घनश्याम गौतम का कहना है कि इस दौरान अश्लील गालियां भी दी जाती है और देव परंपरा का निर्वहन किया जाता है।

वहीं यह फागली उत्सव देवता करथा नाग और वासुकी नाग को समर्पित है और सैकड़ों सालों से ग्रामीण इस परंपरा का निर्वहन करते हैं। उन्होंने बताया कि कई बार इन मुखौटा धारी हरियान के द्वारा दहकते हुए अंगारों पर भी कूद कर नृत्य किया जाता है और दहकते अंगारों के बीच नाचते हुए उन्हें कोई नुकसान नहीं होता है। इसके अलावा देवता के गुर के द्वारा भी पुरानी परंपरा का निर्वहन किया जाता है और अब पल्दीघाटी में फागली उत्सव शुरू हो गया है।

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