शिमला: वैसे तो बेटियां आसमान तक नाप रही हैं। शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र होगा, जहां बेटियों ने काबलियत का डंका नहीं बजाया हो। बावजूद इसके कुछ क्षेत्र ऐसे हैं, जहां बेटियां अब शुरूआत कर रही हैं। हो सकता है, अन्य राज्यों की पुलिस में महिला बिगुलर हों, लेकिन हिमाचल प्रदेश पुलिस के इतिहास में पहली बार तीन महिला बिगुलर शामिल होने जा रही हैं।
महिला आरक्षियों को पीटीसी डरोह में प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। प्रशिक्षित होने के बाद गार्ड ऑफ ऑनर या फिर अन्य समारोहों में लेडी कांस्टेबल बिगुल बजाती नजर आएंगी।
पांचवी आईआरबी बटालियन बस्सी की शिवानी, श्वेता व निशु बिगुलर कोर्स कर रही हैं। रोचक बात ये है कि तीन महिला आरक्षियों से प्रभावित होकर अन्य भी दिलचस्पी दिखा रही हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि लैंगिक समानता व समावेशिता के प्रति पुलिस विभाग की प्रतिबद्धता में ये कदम एक मील का पत्थर साबित होगा।
हिमाचल पुलिस के बिगुलर की भूमिका में पुरुषों का ही आधिपत्य रहा है। चूंकि बिगुल को बजाने के लिए फेफड़ों की शक्ति, गहरी सांस, शारीरिक व मानसिक नियंत्रण की आवश्यकता होती है, यही कारण रहा होगा कि पुरुषों को ही अधिमान मिलता रहा। सेना में भी बिगुल के इस्तेमाल के कई मायने हैं।
बिगुल बजाने वाले पुलिस के साथ-साथ सेना में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। परेड व अन्य कार्यक्रमों में बिगुल ही संकेतक के तौर पर माना जाता है। मधुर धुन एक जुड़ाव पैदा करती है। आपको बता दें सूर्याेदय व सूर्यास्त के वक्त राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान में बिगुल अनिवार्य रहता है। हिमाचल प्रदेश पुलिस ने एक्स पर तस्वीरें साझा की हैं।
पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू ने कहा कि पुलिस बल में महिला बिगुलर्स को शामिल करना न केवल विविधता, बल्कि लैंगिक रूढ़िवादिता को तोड़ने का भी प्रयास है। पुलिस महानिदेशक ने महत्वपूर्ण पहल के लिए पुलिस व प्रशिक्षण महाविद्यालय डरोह के प्रधानाचार्य डीआईजी विमल गुप्ता को बधाई दी है।