पहाड़ियों पर शिकारी माता का भव्य प्राचीन मंदिर, आर्य समाज के लोगों ने किले का किया था यहाँ पर निर्माण

रामपुर बुशहर (मीनाक्षी भारद्वाज) : हिमाचल प्रदेश शिमला जिले के रामपुर उपमंडल की डंसा पंचायत की पहाड़ियों पर शिकारी माता का मंदिर मौजूद है। यहाँ पर हर साल श्रद्धालु माता के दर्शन करने के लिए पहाड़ी पर लगभग दो किलोमीटर का पैदल सफर तय करने के बाद पहाड़ी पर पहुंचते है। यहां पर माता का.

रामपुर बुशहर (मीनाक्षी भारद्वाज) : हिमाचल प्रदेश शिमला जिले के रामपुर उपमंडल की डंसा पंचायत की पहाड़ियों पर शिकारी माता का मंदिर मौजूद है। यहाँ पर हर साल श्रद्धालु माता के दर्शन करने के लिए पहाड़ी पर लगभग दो किलोमीटर का पैदल सफर तय करने के बाद पहाड़ी पर पहुंचते है। यहां पर माता का मंदिर लगभग 9 हजार फिट की उचाई पर मौजूद है। यहाँ पर सात साल के बाद एक एतिहासिक व पारम्परिक पुजा का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें क्षेत्र के हजारों लोग भाग लेते हैं। वहीं क्षेत्र के देवताओं को भी इस पुजा में विशेष तौर पर आमंत्रित किया जाता है।

मंदिर कमेटी के कारदार व पूर्व प्रधान ग्राम पंचायत डंसा खेल चंद ने बताया कि यहां पर शिकारी माता का निवास स्थान प्राचीन काल से है। उन्होंनें बताया कि यहा पर आर्य समाज के लोग भी निवास करते थे, जब मंदिर का निर्माण किया गया उस समय यहाँ पर कुछ अवशेष मिले हैं। यहाँ पर किले का निर्माण किया गया था और अलग अलग प्रवेश द्वार मौजूद थे। यहाँ पर जिन पत्थरों का प्रयोग उस समय किला बनाने के लिए किया गया था उन पत्थरों का प्रयोग अभी सामुदायिक भवन बनाने के लिए किया गया है।

उन्होंने बताया कि यहाँ के लोगों की माता के प्रति गहरी आस्था है। मान्यता है कि एक व्यक्ति जो आज भी मौजूद है उसका बच्चा काफी बीमर हो गया था जिसका इलाज चंडीगढ़ तक किया, लेकिन फिर भी वह ठीक नहीं हुआ। उसके बाद डाक्टर ने उसे घर ले जाने की सलाह दी, जब उसे घर लाया गया तो उसके बाद पिता ने माता की पूजा-अर्चना की और पहाड़ी पर जाकर माता से प्रार्थना की कि उसका बेटा ठीक होना चाहिए। उसके बाद उसका बेटा ठीक हुआ जिसके बाद हर नवरात्रों में जाना यहाँ पर क्षेत्र के अन्य लोगों ने भी शुरू किया और आज यहाँ पर बेहतरीन मंदिर का निर्माण किया जा चुका है।

मंदिर पहाड़ी पर एक सुंदर स्थान पर स्थित है, जो हरे-भरे जंगलों और पहाड़ों से घिरा हुआ है। यह इस क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल माना जाता है, और हर साल बड़ी संख्या में भक्तों को आकर्षित करता है। मंदिर अपनी सुंदर वास्तुकला और जटिल नक्काशी के लिए जाना जाता है, जो पारंपरिक हिमाचली शैली की खासियत है। देवी की मुख्य मूर्ति काले पत्थर से बनी है और चांदी और सोने के आभूषणों से सुशोभित है। यह स्थल पर्यटन की दृष्टि से भी बेहद खुबसूरत है। यहाँ पर सड़क का निर्माण भी किया जा रहा है। जल्द ही सरकार के सहयोग से इस मंदिर को सड़क सुविधा से जोड़ दिया जाएगा।

यहाँ के ग्रामीण इस माता को अपने इष्ट देवता के तौर पर पुजते है, जिनके घर पर गाय का घी पहली बार तैयार किया जाता है तो पहले माता की पूजा अर्चना की जाती है और हर साल क्षेत्र में बेहतरीन सुख समृद्धि व बेहतरीन फसल के लिए भी माता की पूजा अर्चना की जाती है। इस दौरान क्षेत्र के लोग एकत्रित होते हैं और माता के मंदिर पहुंचते है। यहाँ के लोगों के साथ-साथ बाहर से आने वालों की भी माता के प्रति गहरी आस्था है। यहाँ पर हिमाचल प्रदेश के कौने कौने से श्रधालु माता का आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचते है।

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