मेलों के दौरान कुश्ती जैसी परंपरा को जीवंत रखने में ग्रामीण क्षेत्नों का महत्वपूर्ण योगदान : Shiva Choudhary

कुश्ती की मौलिकता भारत के प्राचीनतम व्यायाम से संबंध रखती है जो आज विश्व स्तर पर व्यवसायिक खेल का रूप धारण कर चुकी है।

घुमारवीं: कुश्ती की मौलिकता भारत के प्राचीनतम व्यायाम से संबंध रखती है जो आज विश्व स्तर पर व्यवसायिक खेल का रूप धारण कर चुकी है। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शिव चौधरी ने आज घुमारवीं ग्रीष्मोत्सव में पारंपरिक कुश्ती के उद्घाटन अवसर पर यह विचार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि चाहे कुश्ती को आज व्यावसायिक खेल के तौर पर सम्मान मिला है किंतु मेले व त्यौहार इसकी परंपरा और संवर्धन को बनाए रखने के लिए सदैव जाने जाते रहेंगे। उन्होंने कहा कि पूर्व में कुश्ती मनोरंजन का जरिया था अब विश्व विख्यात व्यवसाय खेल के रूप में अपनाया जाता है।

घुमारवीं एवम अन्य क्षेत्नों में मेलों के दौरान इस परंपरा को जीवंत रखा गया है उसके लिए इस विधा से संबंध रखने वाले सभी व्यक्ति विशेष व संस्थाएं बधाई की पात्न हैं। इस अवसर पर मेला कमेटी के अध्यक्ष एवं उपमंडल अधिकारी घुमारवीं गौरव चौधरी ने स्वागत संबोधन में बताया कि मेले में कुश्ती का विशेष आकर्षण है। उन्होंने बताया कि न केवल स्थानीय बल्कि साथ लगते क्षेत्नों तथा अन्य राज्यों के पहलवान भी इस कुश्ती में अपने दमखम का जौहर दिखाते हैं ।उन्होंने कहा कि मेले को राज्य स्तरीय दर्जा मिलने के उपरांत प्रयास रहेगा के कुश्ती प्रतियोगिता में भी और अधिक सुधार लाया जाए। उन्होंने इस आयोजन के लिए मेला कमेटी ,सरकारी व गैर सरकारी सदस्यों का आभार व्यक्त किया ।

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