सरकारी स्कूलों में गुणवत्ता के आधार पर शिक्षा देना जरूरी : निदेशक घनश्याम

रामपुर बुशहर (मीनाक्षी) : सरकारी स्कूल में शिक्षा व्यवस्था को किस तरह से और भी बेहतर बना सके इसको लेकर रामपुर में प्रारम्भिक शिक्षा निदेशक हिमाचल प्रदेश घनश्याम ने एसएमसी व स्कूलों के अध्यापकों के साथ एक बैठक की। बैठक के माध्यम से उन्होंने एसएमसी से जानने का प्रयास किया की अभी भी स्कूलों में.

रामपुर बुशहर (मीनाक्षी) : सरकारी स्कूल में शिक्षा व्यवस्था को किस तरह से और भी बेहतर बना सके इसको लेकर रामपुर में प्रारम्भिक शिक्षा निदेशक हिमाचल प्रदेश घनश्याम ने एसएमसी व स्कूलों के अध्यापकों के साथ एक बैठक की। बैठक के माध्यम से उन्होंने एसएमसी से जानने का प्रयास किया की अभी भी स्कूलों में क्या कमियां हैं जिन्हें पुरा करना चाहिए और आने वाले समय के लिए कैसे बेहतर करना है इसको लेकर चर्चा की हैं। वहीं इस दौरान विभिन्न स्कूलों से आए एसएमसी के प्रधानों ने अपने अपने विचार रखें और बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में ऐसे कई स्कूल है जहां पर स्मार्ट रूम तो तैयार कर दिए गए हैं, लेकिन इससे छात्रों को शिक्षा नहीं मिल पा रही है। यहाँ पर लगाई गई एलईडी बंद पड़ी हुई है और छात्रों को स्मार्ट शिक्षा नहीं मिल पा रही है। वही उन्होंने विभिन्न स्कूलों में रिक्त पड़े लगभग 40 जेबीटी अध्यापकों के पदों को भी भरने की मांग रखी।

इसके साथ छात्रों को खेलकूद प्रतियोगिताओं के लिए मेट मुहैया करवाने की भी आग्रह किया। वहीं इस दौरान निदेशक घनश्याम ने एसएमसी की जो समस्याएं भी उन्हें जानने का प्रयास किया और आश्वासन दिया की जो भी समस्याएं है। उन्हें सरकार के माध्यम से सुलझाने का प्रयास किया जाएगा। वहीं इस दौरान निदेशक घनश्याम ने बताया कि शिक्षा एक बहुत ही महत्वपूर्ण खोज है। समाज आज अगर उन्नति कर रहा है तो यह शिक्षा की ही देन हैं।

उन्होंने बताया कि शिक्षा में जो प्रारम्भिक शिक्षा है। उसमें बालक ने जो सीख लिया है वह फिर से कभी नहीं सीख पाएगा! यह हमेशा के लिए उसे याद रहेगा। उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री का भी लगातार प्रयास है कि छात्रों को गुणवत्ता के आधार पर शिक्षा मिलनी चाहिए, जिसके लिए लगाता प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में एसएमसी की भी जिम्मेदारी रहती है कि उनके स्कूल में किस तरह से छात्रों को शिक्षा मुहैया हो रही है और स्कूलों में किस तरह से छात्रों व अध्यापकों की कक्षाएं लगती है। ऐसे में एसएमसी को अपने स्कूलों में ध्यान रखना अनिवार्य है। इसलिए ही एसएमसी का गठन किया जाता हैं।

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