भारी बारिश के बाद तबाही का मंजर…अभी भी 55 लाेग लापता, मौसम विभाग ने ऑरेंज अलर्ट किया जारी, High Alert पर कई जिले

राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) के आंकड़ों के अनुसार 1 अगस्त से अब तक 55 लोग लापता हैं, जिनमें शिमला और कुल्लू जिलों के समेज और बागीपुल क्षेत्र के 33 लोग शामिल हैं।

शिमला : शिमला पुलिस ने शनिवार को सतलुज नदी के किनारे समेज गांव से लेकर सुन्नी क्षेत्र तक विभिन्न स्थानों पर तलाशी और बचाव अभियान जारी रखा हैं। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) के आंकड़ों के अनुसार 1 अगस्त से अब तक 55 लोग लापता हैं, जिनमें शिमला और कुल्लू जिलों के समेज और बागीपुल क्षेत्र के 33 लोग शामिल हैं। इसके अलावा, राज्य में 128 सड़कें बंद हैं, साथ ही 44 बिजली योजनाएं और 67 जल योजनाएं बाधित हुई हैं।

भारतीय मौसम विभाग ने भारी बारिश की भविष्यवाणी की है और अगले 24 घंटों के लिए राज्य में ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। इससे पहले, 9 अगस्त को राज्य में हाल ही में हुई भारी बारिश और बाढ़ की स्थिति के कारण सिंचाई और सार्वजनिक स्वास्थ्य (आईपीएच), लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) और राज्य के सड़क बुनियादी ढांचे को 900 करोड़ रुपए का विनाशकारी नुकसान हुआ है।

राज्य सरकार ने सितंबर तक बारिश और संभावित प्राकृतिक आपदाओं के लिए सभी जिलों को हाई अलर्ट पर रखा है। बचाव और खोज अभियान जारी रहने के बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने केंद्र सरकार से तत्काल सहायता न मिलने पर चिंता जताई है, हालांकि भविष्य में मदद का आश्वासन दिया गया है। आपदा के भावनात्मक प्रभाव को दर्शाते हुए एक बयान में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा, कि “बचाव और खोज अभियान जारी रहेगा, क्योंकि हमारी भावना है कि लोग अपने खोए हुए लोगों के शव देखना चाहते हैं, इसलिए हम अभियान जारी रखेंगे।” उन्होंने कहा कि 33 लोग अभी भी लापता हैं।

सितंबर तक सरकार के हाई अलर्ट पर रहने के साथ ही मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि अधिकारी और डिप्टी कमिश्नर स्थिति को संभालने के लिए रोजाना बैठकें कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने पिछली सरकार की ढीली नीतियों, खासकर बड़े होटलों द्वारा पानी के इस्तेमाल के मामले में आलोचना की। हैं। उन्हाेंने कहा कि “पिछली सरकार इतनी असंवेदनशील थी कि वे बड़े होटलों से पानी के बिल के लिए कोई पैसा नहीं लेती थी।” उन्होंने कहा, “हमने यह अनिवार्य कर दिया है कि हम उनसे प्रति किलोलीटर के हिसाब से शुल्क लेंगे, भले ही वे ग्रामीण क्षेत्रों में हों। उनसे जो भी पैसा एकत्र किया जाएगा, उसे ग्रामीण क्षेत्रों में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए खर्च किया जाएगा।”

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