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हिमाचल में शहतूत की जगह अरंडी पर पाले जाएंगे रेशम कीट

हिमाचल प्रदेश में सेरीकल्चर अर्थात रेशम कीट पालन के लिए शहतूत के स्थान पर अरंडी के पौधों को अपनाया जा रहा है।

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जाहू: हिमाचल प्रदेश में सेरीकल्चर अर्थात रेशम कीट पालन के लिए शहतूत के स्थान पर अरंडी के पौधों को अपनाया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश रेशम विभाग के उप निदेशक बलदेव चौहान ने कहा कि प्रदेश में एरी रेशम पालन को बढ़ावा देने के लिए रेशमकीट पालक तैयार किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि अरंडी के पौधे तैयार करने के लिए तमिलनाडु से 10 औंस बीज मंगवाया गया है जो अप्रैल के पहले सप्ताह पहुंचेगा। प्रदेश के हमीरपुर, बिलासपुर, कांगड़ा, मंडी, सोलन और ऊना जिलों में करीब साढ़े दस हजार किसान रेशम पालन व्यवसाय में लगे हुए हैं। मलबरी (शहतूत के पत्ते) किस्म का रेशम कई सालों से रेशम कीट पालक तैयार करके अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में लगे हुए हैं। एरी रेशम को बढ़ावा देने के लिए 2023 में हिमाचल में ट्रॉयल के आधार पर सोलन जिले के नालागढ़ और बिलासपुर जिले के घुमारवीं, हमीरपुर के कांगू, नादौन में विभाग ने अरंडी के करीब 40 हजार पौधे तैयार करवाए हैं। शहतूत से साल में एक बार फसल निकलती है।

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