बीकानेर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीरवार को कहा कि देश के दुश्मनों ने देख लिया कि जब सिंदूर बारूद बन जाता है तो नतीजा क्या होता है। प्रधानमंत्री ने भारत के सशस्त्र बलों की प्रशंसा करते हुए कहा कि तीनों सेनाओं ने मिलकर ऐसा चक्रव्यूह रचा कि पाकिस्तान को घुटने टेकने के लिए मजबूर कर दिया। मोदी ने यहां पलाना देशनोक में जनसभा को संबोधित किया। यह भारतीय सशस्त्र बलों के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद उनका राजस्थान में पहला सार्वजनिक कार्यक्रम था।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 22 तारीख के हमले के जवाब में हमने 22 मिनट में आतंकियों के 9 सबसे बड़े ठिकाने तबाह कर दिए। पाकिस्तान की सीमा से सटे इस इलाके में उन्होंने कहा, दुनिया ने ..और देश के दुश्मनों ने भी देख लिया कि जब सिंदूर बारूद बन जाता है तो नतीजा क्या होता है।
उन्होंने कहा, मोदी का दिमाग ठंडा रहता है लेकिन मोदी का लहू गर्म होता है। अब तो मोदी की नसों में लहू नहीं गर्म सिंदूर बह रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, अब भारत ने दो टूक साफ कर दिया है, हर आतंकी हमले की पाकिस्तान को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। और ये कीमत, पाकिस्तान की सेना चुकाएगी, पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चुकाएगी। उन्होंने कहा कि आतंकवादी हमले पर भारत की प्रतिक्रिया प्रतिशोध का खेल नहीं बल्कि ‘न्याय का नया रूप’ है और पाकिस्तान के साथ कोई व्यापार या बातचीत नहीं होगी, केवल पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के बारे में बात होगी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने बीकानेर में नाल एयरबेस को निशाना बनाने की कोशिश की थी, लेकिन उसे रत्ती भर भी नुक्सान नहीं पहुंचा सका। मोदी ने कहा, यहां से कुछ ही दूर सीमा पार पाकिस्तान का रहीम यार खान एयरबेस है, पता नहीं आगे कब खुलेगा, आईसीयू में पड़ा है। भारत की सेना के अचूक प्रहार ने, इस एयरबेस को तहस-नहस कर दिया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, भारत से कभी सीधी लड़ाई जीत ही नहीं सकता।
मोदी ने 2019 के बालाकोट हवाई हमले के बाद राजस्थान के चूरू में अपनी सार्वजनिक रैली को याद किया और कहा कि उन्होंने तब कहा था, ‘सौगंध मुङो इस मिट्टी की, मैं देश नहीं मिटने दूंगा, मैं देश नहीं झुकने दूंगा।’ उन्होंने कहा, आज राजस्थान की धरती से मैं देशवासियों से कहता हूं जो सिंदूर मिटाने निकले थे, उन्हें मिट्टी में मिलाया है। जो हिंदुस्तान का लहू बहाते थे, आज (उन्होंने) कतरे-कतरे का हिसाब चुकाया है। जो अपने हथियारों पर घमंड करते थे आज मलबे के ढेर में दबे हुए हैं।