G20 की बैठक सामान्य प्रक्रिया, लेकिन संयुक्त राष्ट्र से बेहतर मंच : Farooq Abdullah

श्रीनगरः नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने शुक्रवार को कहा कि जी20 समूह का मंच संयुक्त राष्ट्र से बेहतर है क्योंकि इसमें 20 देश अपने मुद्दों पर चर्चा करते हैं और समाधान तलाशते हैं। अब्दुल्ला ने कहा कि हालांकि जी20 की बैठक प्रत्येक सदस्य देश में बारी-बारी से होती है और यह एक.

श्रीनगरः नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने शुक्रवार को कहा कि जी20 समूह का मंच संयुक्त राष्ट्र से बेहतर है क्योंकि इसमें 20 देश अपने मुद्दों पर चर्चा करते हैं और समाधान तलाशते हैं। अब्दुल्ला ने कहा कि हालांकि जी20 की बैठक प्रत्येक सदस्य देश में बारी-बारी से होती है और यह एक सामान्य प्रक्रिया है। अब्दुल्ला ने नेकां के एक कार्यक्रम से इतर यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘जी20 की बैठक एक सामान्य प्रक्रिया है। यह बारी-बारी से 20 देशों में होती है। यह एक बेहतर मंच है, जहां ये 20 देश एक साथ मिलकर अपने मुद्दों पर चर्चा करते हैं और उनके समाधान तलाशते हैं। यह संयुक्त राष्ट्र की तुलना में एक बेहतर मंच है।’’ यह पूछे जाने पर कि भारत में बैठक आयोजित करना देश के लिए क्या मायने रखता है, अब्दुल्ला ने कहा कि ऐसी बैठकें प्रत्येक सदस्य देश में बारी-बारी से होती हैं।

उन्होंने कहा, कि ‘क्या जी20 दूसरे देशों में नहीं हुआ? अगले साल इस समूह की बैठक ब्राजील में होगी, फिर इसके बाद इसकी बैठक समूह के किसी अन्य देश में होगी।’’ जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें राष्ट्रपति द्वारा आयोजित रात्रिभोज का निमंत्रण मिला है, तो अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘नहीं’’। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, कि ‘ राष्ट्रपति को मुझे क्यों आमंत्रित करना चाहिए? मुझे समझ नहीं आता कि राष्ट्रपति मुझे क्यों आमंत्रित करेंगी।’’ भारत-इंडिया नाम को लेकर जारी विवाद के बारे में पूछे गए एक अन्य सवाल पर, पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि संविधान में दोनों नाम हैं और दोनों के बीच कोई अंतर नहीं है।

उन्होंने कहा, कि ‘यदि आप प्रधानमंत्री के विमान को देखें तो उसमें भी इंडिया और भारत दोनों लिखा हुआ है। मुझे दोनों में कोई अंतर नहीं दिखता, अगर किसी को कोई अंतर दिखता है तो वह जानता है, मुझे नहीं लगता। ये दोनों एक ही चीज है। यह मीडिया ही है जो विवाद पैदा करता है।’’ ‘‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’’ के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘सरकार को इसे संसद के समक्ष रखने दीजिए और इसके बाद हम देखेंगे कि हमें क्या करना है।’’

 

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