जम्मू : कश्मीरी पंडितों के समूह पनुन कश्मीर ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक द्वारा विस्थापित कश्मीरी पंडितों के घाटी में वापसी पर चर्चा के लिए सुलह के प्रयासों को निर्थक बताते हुए उन्हें खारिज कर दिया है। कश्मीरी पंडितों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक प्रमुख समूह पनुन कश्मीर ने शनिवार को कहा कि कश्मीर के भीतर एक अलग मातृभूमि (जहां कश्मीरी हिंदू सम्मान के साथ रह सकें) के लिए संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक उन्हें न्याय नहीं मिल जाता। हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने हाल ही में दिल्ली में कश्मीरी पंडितों के समूह जे एंड के पीस फोरम के सदस्यों से मुलाकात कर समुदाय को पुनस्र्थापित करने पर चर्चा की थी। पनुन कश्मीर ने यहां एक बयान जारी कर कहा, ‘‘पनुन कश्मीर ने स्पष्ट कर दिया है कि जबरन सह-अस्तित्व के असफल मॉडल की ओर वापसी नहीं हो सकती, जिसके परिणामस्वरूप कश्मीरी हिंदुओं पर बार-बार नरसंहारकारी हमले ही हुए हैं। इसका एकमात्र व्यवहार्य समाधान कश्मीर के भीतर एक अलग मातृभूमि का निर्माण है, जहां कश्मीरी हिंदू पूर्ण संवैधानिक अधिकारों, सुरक्षा और सम्मान के साथ रह सकें। यह मांग अटूट है और कोई भी सतही इशारा या राजनीतिक रूप से प्रेरित आख्यान इस मौलिक वास्तविकता को नहीं बदल पाएगा कि न्याय अवश्य दिया जाना चाहिए।’’
केंद्र सरकार से निर्णायक कदम उठाने का आह्वान किया
कश्मीरी पंडितों के समूह ने कहा कि तुष्टिकरण का युग समाप्त हो चुका है, तथा चेतावनी दी कि इतिहास को उन लोगों के अनुरूप नहीं लिखा जा सकता है, जिन्होंने कभी समुदाय के उत्पीड़न को उचित ठहराया था या उसमें भागीदार रहे थे। उन्होंने केंद्र सरकार से कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार को रोकने और यह सुनिश्चित करने के लिए निर्णायक कदम उठाने का आह्वान किया कि उनकी मातृभूमि में उन्हें उचित स्थान मिले। समूह ने इस बात पर जोर दिया कि सत्य, न्याय और जवाबदेही के बिना सुलह-समझौता निर्थक है और न्याय मिलने तक पृथक मातृभूमि के लिए संघर्ष जारी रहेगा।