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Kolkata rape-murder case: कोलकाता में डॉक्टरों ने जारी रखी हड़ताल, ममता बनर्जी से फिर मीटिंग की करी मांग

कोलकाता: पश्चिम बंगाल में सरकारी अस्पतालों के आंदोलनरत जूनियर डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बातचीत के लिए एक और दौर की मांग करते हुए बुधवार को भी अपनी अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रखी। डॉ अनिकेत महतो ने संवाददाताओं से कहा कि वे राज्य के मुख्य सचिव को ईमेल करेंगे और मुख्यमंत्री से एक और दौर.

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कोलकाता: पश्चिम बंगाल में सरकारी अस्पतालों के आंदोलनरत जूनियर डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बातचीत के लिए एक और दौर की मांग करते हुए बुधवार को भी अपनी अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रखी।

डॉ अनिकेत महतो ने संवाददाताओं से कहा कि वे राज्य के मुख्य सचिव को ईमेल करेंगे और मुख्यमंत्री से एक और दौर की बातचीत की मांग करेंगे।

स्वास्थ्य सचिव को दंड देने की कार्रवाई की मांग को लेकर राज्य स्वास्थ्य सचिवालय के बाहर नौवें दिन भी धरना दे रहे एक जूनियर डॉक्टर ने कहा, “हमने अपनी कुछ अधूरी मांगों और अस्पतालों में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री से और बातचीत का अनुरोध किया है जहां धमकी की संस्कृति ने माहौल को खराब कर दिया है।”

उच्चतम न्यायालय और सुश्री बनर्जी ने बार-बार डॉक्टरों से हड़ताल खत्म करने का आग्रह किया है। डाक्टरों की हड़ताल से पिछले 41 दिनों से सरकारी अस्पतालों के आउटडोर (बाह्य) रोगी विभागों में मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट के तत्वावधान में मंगलवार रात डॉक्टरों ने एक आम सभा की और गत नौ अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में कथित तौर पर स्नातकोत्तर प्रशिक्षु महिला डॉक्टर से दुष्कर्म और उसकी हत्या करने पर न्याय दिलाने, स्वास्थ्य सचिव नारायण स्वरूप निगम को हटाने और सरकारी अस्पतालों में सुरक्षित कार्य संस्कृति बनाने की मांग को लेकर अपना आंदोलन जारी रखने का फैसला किया।

मंगलवार को मनोज कुमार वर्मा के कार्यभार संभालने के साथ ही कोलकाता पुलिस प्रमुख को बदलने की हडताली डॉक्टरों की मुख्य मांग को पूरा कर दिया गया है, लेकिन प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों सहित अन्य अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की उनकी मांग पर कोई कार्रवाई नहीं होने पर नाराजगी जताई।

गत 16 सितंबर को डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री के साथ उनके कालीघाट स्थित आवास पर बैठक की जो पांच घंटे से अधिक समय तक चली। इससे पहले ऐसी दो बैठकें बिना किसी नतीजे के विफल रही।

उल्लेखनीय है कि सरकारी अस्पतालों में काम बंद करने की शुरुआत गत नौ अगस्त को हुई थी जब 31 वर्षीय द्वितीय वर्ष की स्नातकोत्तर महिला डॉक्टर की आरजी कर मेडिकल और अस्पताल में दुष्कर्म और उसकी हत्या कर दी गई थी। इसके अलावा 14 अगस्त की रात को अस्पताल में तोड़फोड़ भी की गई तथा चिकित्सा उपकरण, दवाइयां और सीसीटीवी कैमरे नष्ट कर दिए गए।

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