नई दिल्ली। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर बृहस्पतिवार को हमला बोलते हुए उनसे महाराष्ट्र के संबंध में सवाल पूछे और जानना चाहा कि महायुति और केंद्र सरकार छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत को ‘कमजोर’ करने पर क्यों तुली हुई हैं? महाराष्ट्र में प्रधानमंत्री मोदी की रैलियों से पहले कांग्रेस महासचिव तथा पार्टी के संचार प्रभारी जयराम रमेश ने उनसे तीन सवाल पूछे, जिनमें यह भी शामिल है कि मराठवाड़ा में जल संकट समाप्त करने के लिए उनके पास क्या योजना है। कांग्रेस नेता ने प्रश्न किया कि महायुति और केंद्र सरकार छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत को क्यों कमजोर करने पर तुली हुई हैं। उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा, ‘‘रायगढ़ भारत के सबसे महान पुत्रों में से एक छत्रपति शिवाजी महाराज का गढ़ है, जिनकी विरासत को महायुति सरकार और नयी दिल्ली में बैठे उसके संरक्षक कमजोर कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि सात वर्ष पहले ‘नॉन-बायोलॉजिकल’ प्रधानमंत्री ने मुंबई के पास अरब सागर में शिवाजी महाराज की 696 फुट ऊंची प्रतिमा स्थापित करने के लिए आधारशिला रखी थी, लेकिन उसके बाद सरकार ने उसका काम छोड़ दिया। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि, ‘‘ चार जून को अपनी करारी हार के बाद महाराष्ट्र के लोगों से बदला लेने के प्रयास में उन्होंने संसद भवन के बाहर छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति को उसके प्रमुख स्थान से हटा दिया।’’ लोकसभा चुनाव के नतीजे चार जून को घोषित हुए थे। उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं ने छत्रपति की तुलना ‘नॉन-बायोलॉजिकल’ प्रधानमंत्री से करके उनका अपमान किया है। कांग्रेस नेता ने अपने पोस्ट में कहा, ‘‘महायुति ने अपनी जबरन वसूली और लूट से छत्रपति को भी नहीं बख्शा।
सिंधुदुर्ग के राजकोट किले में छत्रपति शिवाजी महाराज की 35 फुट ऊंची प्रतिमा इतनी घटिया तरीके से बनाई गई थी कि ‘नॉन-बायोलॉजिकल’ प्रधानमंत्री द्वारा उद्घाटन किए जाने के एक साल के भीतर ही यह गिर गई।’’ उन्होंने प्रश्न किया कि छत्रपति को अपमानित करने के इन प्रयासों के पीछे क्या कारण है? कांग्रेस नेता ने कटाक्ष किया कि जिस आदमी ने छत्रपति शिवाजी महाराज तक को जुमला दिया हो उससे आम आदमी को क्या उम्मीद हो सकती है। रमेश ने प्रधानमंत्री से प्रश्न किया कि मराठवाड़ा में पानी की कमी दूर करने के लिए मोदी के पास क्या योजना है? उन्होंने कहा वर्ष 2019 में महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने मराठवाड़ा से एक जल ग्रिड बनाने के लिए 20,000 से 25,000 करोड़ रुपये के पैकेज का वादा किया था। कहा गया था कि इससे हर गांव में पाइप से पीने का पानी पहुंचाया जाएगा।