मैतेई संगठनों की अपील : केंद्र कुकी उग्रवादियों से न करें बात, आदिवासी निकाय ने की Manipur में राष्ट्रपति शासन की मांग

नई दिल्ली/इंफालः मैतेई समुदाय के मुख्य नागरिक समाज संगठन मणिपुर इंटीग्रिटी पर समन्वय समिति (सीओसीओएमआई) ने मंगलवार को केंद्र से कुकी उग्रवादी संगठनों के साथ कोई बातचीत नहीं करने का आग्रह कियाऔर दावा किया कि इन संगठनों के सदस्य राज्य में मौजूदा उथल-पुथल के लिए जिम्मेदार हैं और उनके कैडर विदेशी हैं। दूसरी ओर, मणिपुर.

नई दिल्ली/इंफालः मैतेई समुदाय के मुख्य नागरिक समाज संगठन मणिपुर इंटीग्रिटी पर समन्वय समिति (सीओसीओएमआई) ने मंगलवार को केंद्र से कुकी उग्रवादी संगठनों के साथ कोई बातचीत नहीं करने का आग्रह कियाऔर दावा किया कि इन संगठनों के सदस्य राज्य में मौजूदा उथल-पुथल के लिए जिम्मेदार हैं और उनके कैडर विदेशी हैं। दूसरी ओर, मणिपुर की नौ कुकी-ज़ोमी जनजातियों के हित की वकालत करने वाले संगठन ज़ोमी काउंसिल स्टीयरिंग कमेटी (जेडसीएससी) ने मंगलवार को मणिपुर के जातीय संकट के स्थायी समाधान के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप की मांग की और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की हैं।

सीओसीओएमआई के संयोजक जितेंद्र निंगोम्बा ने दिल्ली में मीडिया को बताया, ‘विभिन्न स्नेतों से पता चला है कि भारत सरकार कुकी संगठनों के साथ बातचीत कर सकती है। सीओसीओएमआई और मणिपुर के कई अन्य संगठन पूरी तरह से इसके खिलाफ हैं।‘ उन्होंने कहा कि सीओसीओएमआई, मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने की अपनी मांग के समर्थन में 29 जुलाई को राज्य में एक रैली आयोजित करेगी। यह दावा करते हुए कि केंद्र जानबूझकर पूवरेत्तर क्षेत्र में नार्को-आतंकवाद का समर्थन कर रहा है, सीओसीओएमआई नेताओं ने दावा किया कि इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक ने बताया कि पूवरेत्तर क्षेत्र में 1,25,000 एकड़ पहाड़ी इलाकों में पोस्ता की खेती होती है, जबकि मणिपुर के कुकी बहुल इलाकों के पहाड़ी इलाकों से सालाना लगभग 650 मीट्रिक टन अफीम का उत्पादन होता है, जिससे सालाना 50,000 करोड़ रुपए से 65,000 करोड़ रुपए की आय होती है।

सीओसीओएमआई नेताओं ने दावा किया, ‘ये क्षेत्र सशस्त्र चिन-कुकी आतंकवादियों द्वारा संरक्षित और प्रबंधित हैं।‘ इस बीच, मणिपुर में चिन-कुकी-मिज़ो-ज़ोमी समूह से संबंधित सात भाजपा विधायकों सहित 10 आदिवासी विधायकों ने केंद्र से आदिवासियों के लिए एक अलग प्रशासन (अलग राज्य के बराबर) बनाने का आग्रह किया है, लेकिन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने कई मौकों पर मांग को खारिज कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में जेडसीएससी ने मणिपुर के आदिवासियों पर राज्य प्रायोजित हमलों के मूल कारणों की एनआईए जांच और सभी घाटी जिलों में सशस्त्र बल (विशेष शक्ति) अधिनियम (एएफएसपीए) के प्रावधानों को फिर से लागू करने की भी मांग की, ताकि सेना कानून और व्यवस्था पर पूर्ण नियंत्रण ले सके।

संगठन ने आरोप लगाया कि कुकी-जाेमी जनजातियों पर हमले लगातार जारी हैं और 3 मई से कट्टरपंथी मानवता के खिलाफ जघन्य अपराध कर रहे हैं। पत्र में कहा गया है कि राज्य में संवैधानिक विफलता और कानून-व्यवस्था के पतन के कारण मणिपुर में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए तुरंत राष्ट्रपति शासन की जरूरत है। इसमें आरोप लगाया गया कि राज्यभर में सरकारी शस्त्रगारों से 5000 से अधिक अत्याधुनिक हथियार और लाखों राउंड गोला-बारूद लूट लिया गया। जेडसीएससी ने दावा किया कि कुकी-जाेमी आदिवासियों के साथ अन्याय, संस्थागत उपेक्षा और भेदभाव कई दशकों से जारी है।

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