नई दिल्ली (आकाश द्विवेदी): भारतीय रेलवे की स्वदेशी स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली ‘कवच’ ने संस्करण 4.0 के साथ एक नया मानक स्थापित किया है। यह प्रणाली उच्चतम सुरक्षा प्रमाणन एसआईएल-4 मानक पर आधारित है, जो लोको पायलट को गति सीमा का पालन करने में सहायता करती है और आवश्यकता पड़ने पर स्वतः ब्रेक लगाकर दुर्घटनाओं को रोकती है। नवीनतम संस्करण में स्थान सटीकता, बड़े यार्ड में सिग्नल की बेहतर जानकारी और इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम के लिए सीधा इंटरफेस जैसी नई विशेषताएँ जोड़ी गई हैं। दक्षिण मध्य रेलवे के 1465 आरकेएम क्षेत्र में परीक्षण के बाद इसे व्यापक स्तर पर लागू करने की योजना बनाई गई है।
फरवरी 2025 तक 5743 किमी ऑप्टिकल फाइबर, 540 दूरसंचार टावर, 664 स्टेशन कवच प्रणाली, 795 लोकोमोटिव और 3727 आरकेएम ट्रैक उपकरण स्थापित किए जा चुके हैं। रेलवे ने 10,000 लोकोमोटिव और 15,000 आरकेएम ट्रैक पर कवच तैनात करने की योजना बनाई है। अब तक इस परियोजना पर 1950 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं, जबकि वर्ष 2024-25 के लिए 1112.57 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है।
महाकुंभ 2025 के दौरान रेलवे स्टेशनों पर बढ़ती भीड़ को नियंत्रित करने के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं। प्रयागराज में सात नए प्लेटफार्म बनाए गए, जिससे कुल संख्या 48 हो गई। यात्रियों की सुविधा के लिए 17 नए यात्री आश्रय और 21 नए पुलों का निर्माण किया गया। प्रयागराज जंक्शन पर एक केंद्रीय मास्टर नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया, जिससे गाड़ियों के संचालन और भीड़ प्रबंधन को सुचारू बनाया गया। सुरक्षा के लिहाज से 1200 से अधिक सीसीटीवी कैमरे, फेस रिकग्निशन सिस्टम और ड्रोन कैमरों की व्यवस्था की गई है।
देशभर के 60 प्रमुख स्टेशनों पर स्थायी होल्डिंग क्षेत्र बनाए जा रहे हैं और एक्सेस कंट्रोल प्रणाली लागू की जाएगी, जिसमें केवल आरक्षित टिकटधारकों को प्लेटफार्म तक पहुंचने की अनुमति होगी। चौड़े पैदल पार पुलों, उन्नत सीसीटीवी निगरानी और आधुनिक संचार प्रणाली जैसी सुविधाएँ भी जोड़ी गई हैं।
रेलवे नेटवर्क विस्तार के तहत 1 अप्रैल 2024 तक 44,488 किमी लंबाई की कुल 488 रेलवे परियोजनाएँ विभिन्न चरणों में हैं, जिनकी अनुमानित लागत 7.44 लाख करोड़ रुपये है। असम और पूर्वोत्तर क्षेत्र में 1,368 किमी लंबाई की 18 परियोजनाएँ निर्माणाधीन हैं, जिनकी लागत 74,972 करोड़ रुपये है। 2014-24 के दौरान रेलवे विस्तार की गति दोगुनी हो गई है।
भारतीय रेलवे माल ढुलाई को तेज बनाने के लिए दो विशेषीकृत माल ढुलाई गलियारों (डीएफसी) पर कार्य कर रहा है। इनमें 1337 किमी पूर्वी गलियारा (ईडीएफसी) और 1506 किमी पश्चिमी गलियारा (डब्ल्यूडीएफसी) शामिल हैं, जिनमें से 96.4% कार्य पूरा हो चुका है। इसके अलावा, रेलवे तीन नए डीएफसी परियोजनाओं की डीपीआर तैयार कर रहा है।
रेलवे भर्ती प्रक्रिया के तहत 2024 में 92,116 रिक्तियों के लिए 10 केंद्रीय भर्ती अधिसूचनाएँ जारी की गई हैं। सहायक लोको पायलट, तकनीशियन और आरपीएफ कांस्टेबल सहित कई परीक्षाएँ आयोजित हो चुकी हैं। वहीं, भारतीय रेलवे ने हाइपरलूप तकनीक के विकास के लिए आईआईटी मद्रास के साथ 20.89 करोड़ रुपये का समझौता ज्ञापन किया है।
रेलवे की इन पहलों से सुरक्षा, संरचना और सेवा गुणवत्ता में सुधार होगा, जिससे यात्रियों को बेहतर अनुभव मिलेगा।