प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए ‘प्रोएक्टिव एप्रोच’ एकमात्र उपाय : CM Pushkar Dhami

देहरादूनः उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को प्रोएक्टिव एप्रोच को प्राकृतिक आपदाओं से निपटने का एकमात्र उपाय बताते हुए कहा कि आपदाओं को रोका तो नहीं जा सकता लेकिन पहले से तैयारी कर उनके प्रभाव को कम किया जा सकता है। यहां छठे वैश्विक आपदा प्रबंधन सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में बतौर.

देहरादूनः उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को प्रोएक्टिव एप्रोच को प्राकृतिक आपदाओं से निपटने का एकमात्र उपाय बताते हुए कहा कि आपदाओं को रोका तो नहीं जा सकता लेकिन पहले से तैयारी कर उनके प्रभाव को कम किया जा सकता है। यहां छठे वैश्विक आपदा प्रबंधन सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि अपने संबोधन में धामी ने कहा, ‘‘आपदाओं से निपटने का एक ही उपाय है और वह है प्रोएक्टिव एप्रोच, जिसके तहत आपदा न्यूनीकरण के लिए पहले से तैयारी कर ली जाए।’’

उन्होंने कहा कि आपदाओं को रोका तो नहीं जा सकता लेकिन अगर पहले से तैयारी कर ली जाए तो उसके प्रभाव को कम जरूर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को न्यूनतम करने के लिए बेहतर रणनीतियां तैयार कर उन्हें लागू करना होगा। उन्होंने इसके लिए इकोलॉजी, इकोनोमी और टेक्नोलोजी के बेहतर समन्वय से एक बेहतर प्रबंध तंत्र बनाने की आवशय़कता भी जताई। इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री ने आपदाओं के दौरान होने वाली सभी प्रतिक्रियाओं को एकीकृत करने पर भी जोर दिया और कहा कि एक समान प्रतिक्रिया होने से नुकसान और जनहानि दोनों को कम किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में आपदा प्रबंधन की तैयारियों के रूप में चिकित्सा सुविधाएं, सशक्त संचार व्यवस्था, ऑल वेदर सड़क, शहरी नियोजन जैसे अनेक कार्यों पर विशेष रूप से कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा, कि ‘आपदाओं का सामना करने के लिए हम बेहतर तरीके से तैयार हो रहे हैं।’’ सीएम धामी ने कहा कि सनातन संस्कृति में पृथ्वी को माता के समान माना गया है और इसी में ही आपदा प्रबंधन की मूल भावना निहित है।

उन्होंने कहा, कि ‘पृथ्वी पर हमारे जितने भी प्राकृतिक संसाधन हैं, उनका उपभोग न करके उपयोग किया जाए तो सही अर्थों में प्रकृति के संरक्षण और संवर्धन से आपदा के न्यूनीकरण में हम सफलता की ओर आगे बढ़ेंगे।’’ सीएम धामी ने कहा कि इस सम्मेलन के आयोजन के लिए उत्तराखंड से बेहतर कोई और स्थान नहीं हो सकता था क्योंकि यहां सदियों से मानव जाति की प्रकृति के साथ सहजीवन की पद्वति रही है। उन्होंने कहा कि यह राज्य प्राचीन काल से शोध, साधना, ज्ञान, अध्यात्म और विज्ञन की उद्गम स्थली रहा है।

उन्होंने कहा, कि ‘आदि गुरू शंकराचार्य जी, स्वामी विवेकानंद जी से लेकर गुरूदेव रविंद्रनाथ टैगोर तक अनेक युगद्रष्टाओं की आध्यात्मिक यात्र में कहीं न कहीं हिमालय और विशेष रूप से उत्तराखंड के दर्शन अवश्य होते हैं।’’ उत्तराखंड को प्राकृतिक आपदाओं की द्रष्टि से बहुत संवेदनशील बताते हुए धामी ने कहा कि प्रत्येक वर्ष हमें कहीं न कहीं भूस्खलन, बर्फबारी, अतिवृष्टि या बाढ़ के रूप में आपदाओं का सामना करना पड़ता है। इस संबंध में उन्होंने केदारनाथ त्रसदी, उत्तरकाशी में वरूणावर्त पर्वत से भूस्खलन तथा रैंणी आपदा का जिक्र भी किया।

सीएम धामी ने कहा कि इस सम्मेलन का प्राथमिक उद्देशय़ हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र और समुदायों पर ध्यान केंद्रित करते हुए जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रतिरोध की चुनौतियों पर चर्चा करना और उनका समाधान निकालना है। इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में 50 से अधिक देशों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं।

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