लोक सेवक राष्ट्र प्रथम की भावना के साथ नागरिकों की सेवा करते रहेंगे: राष्ट्रपति

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को ‘सिविल सेवा दिवस’ पर लोक सेवकों को बधाई दी और विश्वास जताया कि वे ‘‘राष्ट्र प्रथम’’ की भावना के साथ देश के नागरिकों की सेवा करना जारी रखेंगे। देश में 21 अप्रैल को सिविल सेवा दिवस के रूप में मनाया जाता है और यह नौकरशाहों का नागरिकों.

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को ‘सिविल सेवा दिवस’ पर लोक सेवकों को बधाई दी और विश्वास जताया कि वे ‘‘राष्ट्र प्रथम’’ की भावना के साथ देश के नागरिकों की सेवा करना जारी रखेंगे। देश में 21 अप्रैल को सिविल सेवा दिवस के रूप में मनाया जाता है और यह नौकरशाहों का नागरिकों के हित के लिए खुद को पुन: समर्पित करने और सार्वजनिक सेवा एवं काम में उत्कृष्टता के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं को दोहराने का अवसर होता है। उन्होंने कहा, ‘‘सिविल सेवा दिवस पर सभी लोक सेवकों को शुभकामनाएं। आपने देश की प्रगति के लिए अथक काम करने की महान विरासत को आगे बढ़ाया है।

हमारी सिविल सेवाओं को बदलते माहौल के अनुसार शीघ्रता से स्वयं को ढालने की चुनौती का हमेशा सामना करना पड़ता है और साथ ही उन्हें उन तीन मूलभूत मूल्यों को भी बरकरार रखना होता है जिन्हें सरदार पटेल ने 1947 में इसी दिन अपने भाषण में रेखांकित किया था – गरिमा, सत्यनिष्ठा और सच्चरित्र।’’ मुर्मू ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि आप राष्ट्र प्रथम की भावना के साथ देश के नागरिकों की सेवा करना जारी रखेंगे। इस प्रयास के लिए आपको मेरी शुभकामनाएं।’’

स्वतंत्र भारत के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने 1947 में इसी दिन दिल्ली के मेटकाफ हाउस में परिवीक्षाधीन प्रशासनिक सेवा अधिकारियों को संबोधित किया था। उन्होंने उन्होंने लोक सेवकों को ‘‘भारत का स्टील फ्रेम’’ कहा था। पहला सिविल सेवा दिवस समारोह 21 अप्रैल, 2006 को यहां विज्ञन भवन में आयोजित किया गया था।

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