उदगमंडलम(तमिलनाडु): आठ साल के विजय को समझ नहीं आ रहा है कि क्यों उसकी मां शकीला घंटो जगाने की कोशिश करने के बाद उठकर उससे बात नहीं कर पाएगी। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि उसे यह समझने में कई दिन लग जाएंगे कि उसके पिता शिवकुमार के साथ उसकी मां भी दुनिया छोड़कर जा चुकी है और अब कभी उससे बात नहीं करेगी।
शकीला (30 वर्षीय) उन छह महिला मजदूरों में शामिल हैं, जिनकी मौत सात फरवरी को यहां के करीब लवडाले में निर्माण स्थल पर इमारत गिरने से उसके मलबे में दबकर हो गई। विजय सरकारी स्कूल में तीसरी कक्षा में पढ़ता है। उसके पिता शिवकुमार की भी तीन साल पहले मौत हो गई थी और अब परिवार में अकेली उसकी दादी आर्यम्मल है।
आर्यम्मल(75) ने बताया, ‘‘ विजय ने स्कूल पोशाक भी नहीं बदला है। वह बार-बार पूछ रहा है कि क्या अम्मा अब बात नहीं करेगी। क्या वह भी ‘अप्पा’(पिता) के पास चली गई है। उसने खाना तक नहीं खाया है।’’ विजय के अलावा दो अन्य बच्चों– 17 वर्षीय एक लड़की और स्कूल जाने वाले उसके भाई– ने भी इस हादसे में अपनी मां 36 वर्षीय मुत्तुलक्ष्मी को खो दिया है। विजय की तरह की संध्या और संतोष के पिता की भी कुछ साल पहले मौत हो गई थी। बच्चों की दुर्दशा और मृत श्रमिकों के परिवारों की गरीबी का शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता।
गांधी नगर और मेल्तालयाट्टु मांतु इलाके के लोगों ने नीलगिरी जिले के जिलाधिकारी से अपील की है कि वह सुनिश्चित करें कि हादसे में मारे गए छह मजदूरों के बच्चों की शिक्षा के लिए सरकार धनराशि उपलब्ध कराए।
जिलाधिकारी को दी गई अर्जी में स्थानीय लोगों ने अनुरोध किया है कि मृतकों के एक परिजन को सरकारी नौकरी दी जाए और अधिकारी सुनिश्चित करें कि निर्माण स्थल के मालिक परिवारों को लापरवाही की वजह से हुए हादसे के लिए मुआवजा दें।
मृतक गांधी नगर और मेल्तालयाट्टु मांतु इलाके के रहने वाले थे। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के.स्टालिन ने बुधवार को हादसे में मारे गए छह मजदूरों के परिवारों को दो-दो लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की थी।