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वैश्विक स्तर पर डिजीटल प्रौद्योगिकी के लिए नियम बनाने की जरूरत : PM Modi

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि डिजीटल प्रौद्योगिकी के लिए वैश्विक स्तर पर ऐसी रूपरेखा तैयार करने की जरूरत है, जिसमें कृत्रिम मेधा और प्रौद्योगिकी के नैतिक उपयोग के लिए स्पष्ट निर्देश दिए गए हों। उन्होंने कहा कि आपस में जुड़ी दुनिया में सुरक्षा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। प्रधानमंत्री.

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि डिजीटल प्रौद्योगिकी के लिए वैश्विक स्तर पर ऐसी रूपरेखा तैयार करने की जरूरत है, जिसमें कृत्रिम मेधा और प्रौद्योगिकी के नैतिक उपयोग के लिए स्पष्ट निर्देश दिए गए हों। उन्होंने कहा कि आपस में जुड़ी दुनिया में सुरक्षा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। प्रधानमंत्री ने यहां अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (डब्ल्यूटीएसए) और इंडिया मोबाइल कांग्रेस के उद्घाटन के अवसर पर कहा कि जिस तरह विमानन क्षेत्र के लिए वैश्विक समुदाय ने एक व्यापक रूपरेखा तैयार की है, उसी तरह डिजीटल दुनिया को भी नियमों तथा विनियमों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वैश्विक संस्थाओं को एक साथ मिलकर यह तय करना चाहिए कि क्या करना चाहिए और क्या नहीं। मोदी ने कहा, समय आ गया है जब वैश्विक संस्थाओं को डिजीटल प्रौद्योगिकी के लिए नियम-आधारित रूपरेखा के महत्व को स्वीकार करना होगा।

उन्होंने कहा, डिजीटल नियम केवल इसलिए महत्वपूर्ण नहीं हैं क्योंकि उनमें व्यक्तिगत गोपनीयता, मीडिया में गलत सूचना, प्रौद्योगिकी दिग्गजों की जवाबदेही और सामाजिक महत्व के अन्य मुद्दे शामिल हैं, बल्कि इसलिए भी क्योंकि वस्तुओं और सेवाओं का व्यापार डाटा के अंतर्राष्ट्रीय प्रवाह पर निर्भर करता है। प्रधानमंत्री ने नई दिल्ली के भारत मंडपम में अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ-विश्व दूरसंचार मानकीकरण सभा (डब्ल्यूटीएसए) 2024 का उद्घाटन किया। उन्होंने कार्यक्रम के दौरान इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2024 के 8वें संस्करण का भी उद्घाटन किया। उन्होंने इस अवसर पर एक प्रदर्शनी को भी देखा। मोदी ने मौजूद तकनीकी क्रांति के लिए मानव-केंद्रित आयाम की जरूरत पर जोर दिया तथा जिम्मेदार और टिकाऊ नवाचार का आह्वान किया। उन्होंने कहा, जब दूरसंचार और इससे जुड़ी तकनीकों की बात आती है तो भारत सबसे ज्यादा सक्रिय देशों में से एक है।

भारत की उपलब्धियों को गिनाते हुए उन्होंने कहा कि भारत में 120 करोड़ मोबाइल फोन उपयोगकत्र्ता, 95 करोड़ इंटरनैट उपयोगकत्र्ता हैं। देश में पूरी दुनिया के 40 प्रतिशत से ज्यादा डिजीटल लेन-देन होते हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने दिखाया है कि कैसे डिजीटल संपर्क अंतिम छोर तक आपूíत के लिए एक प्रभावी उपकरण बन गया है। भारत के अनुभव की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि तेजी से क्रियान्वयन के बाद अब देश भर में अधिकतर स्थानों पर 5जी दूरसंचार सेवाएं उपलब्ध हैं और 6जी पर काम पहले ही शुरू हो चुका है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले दशक में भारत मोबाइल फोन का आयातक से निर्यातक बन गया है। उसने पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी से 8 गुना अधिक दूरी का ऑप्टिक फाइबर नैटवर्क बिछाया है।

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