आज आपके प्रिय Dainik Savera का 12वें वर्ष में प्रवेश, यूं ही मेरे साथ रहना, साथ ही चलना मेरेः Shital Vij

प्रिय पाठको, 11 वर्ष पहले जो सफर मां भगवती के आशीर्वाद तथा आपके प्यार और विश्वास के साथ प्रारंभ किया था, आज उस सफर का 1 वर्ष और पूरा हो गया तथा 12वां वर्ष प्रारंभ हो गया। आपके अपने दैनिक सवेरा के 12वें वर्ष में प्रवेश पर आप सबको हार्दिक बधाई। बधाई हर उस व्यक्ति.

प्रिय पाठको, 11 वर्ष पहले जो सफर मां भगवती के आशीर्वाद तथा आपके प्यार और विश्वास के साथ प्रारंभ किया था, आज उस सफर का 1 वर्ष और पूरा हो गया तथा 12वां वर्ष प्रारंभ हो गया। आपके अपने दैनिक सवेरा के 12वें वर्ष में प्रवेश पर आप सबको हार्दिक बधाई। बधाई हर उस व्यक्ति को, जिसने दैनिक सवेरा को अपना समय दिया, जिसने इसकी सफलता के लिए सहयोग किया, उसे भी जिसने इसके लिए थोड़ा-सा भी काम किया, जिसने सुझाव दिए, जिसने इसकी सफलता के लिए मंगलकामना की। उनका तो धन्यवाद है ही जिन्होंने सहयोग दिया लेकिन धन्यवाद उनका भी जिन्होंने आलोचना की। वास्तव में आलोचक ही तो सच्चे मित्र होते हैं, क्योंकि वे आपको आपकी गलतियों का अहसास कराते हैं तथा आप अपनी गलतियों का सुधार कर लेते हैं। तभी तो संत कबीर ने कहा है, निंदक नियरे राखिए…। हां, निंदक और निंदक में अंतर अवश्य होता है थोड़ा। एक निंदक वह जो मित्र बनकर आपकी गलती आपको बताते हैं ताकि आप सुधार कर सकें। लेकिन एक निंदक वो हैं जो ईष्र्यावश आपकी निंदा करते हैं, दुर्भावना के साथ आपकी निंदा करते हैं। लेकिन मैं तो उनका भी धन्यवाद करना चाहता हूं जो मन में दुर्भावना रखकर दिन-रात पानी पी-पी कर मुङो कोसते रहते हैं तथा आपके दैनिक सवेरा की प्रगति से जलकर निंदा करते हैं। क्योंकि मैं तो समझता हूं कि दैनिक सवेरा के प्रचार-प्रसार में उनका भी बड़ा हाथ है।

उन्हें दिनरात दैनिक सवेरा के सपने आते रहते हैं। जितना प्रचार वे हमारा और आपके प्यारे दैनिक सवेरा का करते हैं, उतना तो शायद करोड़ों रुपए खर्च करके भी नहीं कराया जा सकता। इसलिए मैं उनका भी आभार व्यक्त करना चाहत हूं। प्रिय पाठको, समाचारपत्र प्रकाशित करना सबसे कठिन काम है। यह कोई व्यवसाय नहीं है, यह तो परीक्षा है, और यह परीक्षा प्रतिदिन होती है। हर रोज आपका इम्तिहान होता है, हर रोज आपके सामने नई चुनौती होती है। आपको निष्पक्ष रहना पड़ता है, आप किसी राजनीतिक पार्टी के साथ बंध नहीं सकते। किसी की झूठी प्रशंसा नहीं कर सकते, किसी की गलती अथवा कमजोरी को छिपा नहीं सकते। इस सबका कई बार आपको कठिन परिणाम भी भुगतना पड़ता है। कई बार सत्ताधारी पार्टियां हानि भी पहुंचाती हैं, कई बार सम्मान को ठेस पहुंचाने के प्रयास भी किए जाते हैं।

आर्थिक हानि तो पहुंचाई ही जाती है साथ में समाज के अंदर आपकी प्रतिष्ठा को कम करने के षड्यंत्र भी रचे जाते हैं। यह सब कुछ मेरे साथ हुआ, मैंने यह सब कुछ देखा इन 11 वर्षों में। मैंने तो और भी बहुत कुछ देखा, जो लोग पत्रकारिता के अपने आपको बादशाह समझते थे, मैंने तो उन्हें सत्ता के साथ मिलकर अपने विरुद्ध षड्यंत्र रचते भी देखा। मेरी यह यात्रा तो और भी कठिन थी, मैंने तो नोटबंदी भी देखी, कोविड भी देखा। इन दोनों से निपटना भी बहुत कठिन काम था, लेकिन आपके प्यार ने मुझे गद्गद् किया। हर परीक्षा में आपने मुझे उत्तीर्ण कराया। आज अगर कथित सबसे पुराने समाचारपत्र से भी अधिक आपके दैनिक सवेरा की प्रसार संख्या है तो यह सब आपकी ही बदौलत है। मैं आप सब पाठकों का आभारी हूं। आभारी हूं मैं उन पत्रकारों, लेखकों, विश्लेषकों, साहित्यकारों तथा कवियों का जिन्होंने उत्तम से उत्तम सामग्री आपके लिए भेजी। मुझे मालूम है कि मेरे संपादक मंडल ने ईमानदारी तथा निष्पक्षता के साथ अनथक मेहनत करके आपके लिए सबसे बढ़िया समाचारपत्र तैयार किया।

मैं जानता हूं कि विज्ञापन विभाग तथा सकरुलेशन विभाग ने भी अनथक मेहनत की। लेकिन प्रिय पाठको, अगर आप इसे नहीं पढ़ते, नहीं अपनाते, नहीं सराहते, नहीं प्यार करते तो यह सब धरा का धरा ही रह जाता। अगर आप आंकड़ों का अध्ययन करेंगे तो पाएंगे कि पिछले 3 वर्षों में अनेक पुराने तथा स्थापित दैनिक बंद हो गए तथा असंख्य ऐसे हैं जिनकी प्रसार संख्या मात्र 25 प्रतिशत रह गई, लेकिन आपके स्नेह का ही परिणाम है कि आपका दैनिक सवेरा जितना 3 वर्ष पहले छपता था, आज उससे भी अधिक छपता है। मेरे प्रिय पाठको, मैं यहां यह भूलना नहीं चाहता कि मेरी मां त्रिपुरमालिनी (शक्तिपीठ श्री देवी तालाब मंदिर, जालंधर) की अपार कृपा दैनिक सवेरा पर पहले दिन से है। मैं मां के चरणों में आज यह प्रार्थना भी करना चाहता हूं कि वह अपनी कृपा इसी प्रकार से बनाए रखे तथा साथ ही यह प्रार्थना भी करना चाहता हूं कि भगवती मां दैनिक सवेरा के पाठकों तथा इसके साथ जुड़े प्रत्येक व्यक्ति पर भी अपनी रहमतों की वैसी ही बरसात करे, जैसी कि मुझ पर तथा दैनिक सवेरा पर की है।

अगर मैं अपने परिवार का आभार व्यक्त नहीं करूंगा तो मैं बहुत बड़ी गलती कर रहा हूंगा। मेरा परिवार ही तो मेरी सबसे बड़ी शक्ति है। मुझे याद है जब दैनिक सवेरा का प्रकाशन प्रारम्भ किया था तो कुछ लोग कहते थे क्यों शुरू कर रहे हो इतना मुश्किल सफर? तब मां भगवती के बाद मेरी सबसे बड़ी शक्ति मेरा परिवार ही तो था। अत्यंत संघर्षपूर्ण कार्य के लिए मेरा परिवार मेरे साथ चट्टान की तरह खड़ा था, मेरी धर्मपत्नी वाणी विज तो मेरी सबसे बड़ी शक्ति है ही, मेरे बच्चे भी मेरे साथ मजबूती के साथ खड़े थे। और आज भी खड़े हैं। मेरे परिवार, स्टाफ तथा पाठकों के मिश्रित प्रयास से ही दैनिक सवेरा निष्पक्षता तथा सत्यता का ध्वज उठाए लगातार अपनी मंजिल की ओर अग्रसर है। मेरी मंजिल है प्रैस की ताकत का दुरुपयोग रोकना।

हां, प्रिय पाठको, प्रैस बहुत बड़ी ताकत है, प्रैस भ्रष्टाचार को रोक सकती है, प्रैस लोकतंत्र की रक्षा के लिए बहुत बड़ी भूमिका निभाते हुए सत्ता की गलत नीतियों को रोकने में सक्षम है, लेकिन प्रैस से जुड़े कुछ लोग इसी का दुरु पयोग करते हुए ब्लैकमेलिंग का धंधा कर रहे हैं। आप सबके सहयोग से हमें उसे रोकना है, वरना लोकतंत्र ही खतरे में पड़ जाएगा। आप सबके सुखद भविष्य के लिए दिल की गहराइयों के साथ यही दुआ है.. आप हैं तो मैं हूं वरना, दोस्तो मैं कुछ नहीं। यूं ही मेरे साथ रहना, साथ ही चलना मेरे। – आपका, शीतल विज।

 

 

 

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