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केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्यसभा में तत्कालीन UPA सरकार को घेरा

नई दिल्ली: केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को राज्यसभा में हुई कृषि और किसान पर चर्चा में विपक्ष पर जमकर हमला बोला। श्री चौहान ने संसद में प्रश्नकाल के दौरान आए कृषि संबंधित सवालों के जवाब देते हुए कहा कि, प्रधानमंत्री श्रीमान नरेन्द्र मोदी जी से बड़ा कोई किसान हितैषी नहीं है। सरकार किसान कल्याण और उनके विकास के लिए निरंतर काम कर रही है। कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान उसकी आत्मा है। किसान की सेवा हमारे लिए भगवान की पूजा जैसी है। उन्होंने कहा कि, एमएसपी का पूरा लाभ देश के किसानों तक पहुंचे, इसलिए सरकार द्वारा एसएसपी की व्यवस्था को और अधिक प्रभावी व पारदर्शी बनाने पर सुझाव देने जैसे विशिष्ठ उद्देश्यों के लिए समिति का गठन हुआ है। वहीं उन्होंने कहा कि, एमएसपी की दरें किसान को ठीक दाम देने के लिए लगातार बढ़ाई गई हैं।

यूपीए सरकार ने स्वामीनाथन रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया:-
केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि, स्वामी नाथन कमेटी की रिपोर्ट में जब ये कहा गया कि, लागत पर 50% मुनाफा देकर समर्थन मूल्य घोषित करना चाहिए। तब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, उन्होंने साफ तौर पर कैबिनेट नोट में कहा कि, एमएसपी को उत्पादन की भारित औसत लागत से 50% अधिक तय करने की सिफारिश पर यूपीए की सरकार ने कैबिनेट में ये कहते हुए स्वीकार नहीं किया कि, सीएसीपी द्वारा प्रासंगिक कारकों की व्यवस्था पर विचार करते हुए एक वस्तुनिष्ठ मानदंड के रूप में एमएसपी की सिफारिश की गई है, इसलिए लागत पर कम से कम 50% की वृद्धि निर्धारित करना बाजार को विकृत कर सकता है। इस संदर्भ में कृषि मंत्री श्री चौहान ने 28 जुलाई 2007 के कैबिनेट बैठक का नोट भी पटल पर रखा l

चौहान ने कहा इन्होंने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश स्वीकार करने से इंकार कर दिया। तत्कालीन कृषि मंत्री कांतिलाल भूरिया जी ने अपने जवाब में कहा कि, स्वीकार नहीं किया जा सकता। सरकार में तत्कालीन मंत्री शरद पवार जी ने भी अपने जवाब में कहा कि, सरकार सीएसीपी की सिफारिशों के आधार पर एमएसपी तय करती है और इसलिए पहचानने की अवशयकता है कि, उत्पादन लागत और एमएसपी के बीच कोई आंतरिक संबंध नहीं हो सकता और उन्होंने इंकार कर दिया। उसे स्वीकार नहीं किया। ये किसान के नाम पर केवल राजनीति करना चाहते हैं। ये देश को अराजकता में झोंकना चाहते हैं, लेकिन मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ कृषि मंत्री के रूप में कहता हूँ कि, प्रधानमंत्री के नेतृत्व में खेती को लाभ का धंधा बनाने में और किसानों की आमदनी दोगुनी करने में हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे हम दिन-रात काम करेंगे कई फैसले लिए हैं और आगे भी किसान हितैषी फैसले लिए जाते रहेंगे।

किसान कल्याण के लिए 6 सूत्रीय रणनीति:-
केन्द्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में ये सरकार निरंतर किसानों के कल्याण के काम में जुटी हुई है और किसान को ठीक दाम देने के लिए सरकार की 6 सूत्रीय रणनीति है। श्री चौहान ने कहा कि, यूपीए की सरकार में वर्ष 2013-14 तक बाजरा का समर्थन मूल्य 1250 था लेकिन मोदी जी की सरकार ने घोषित किया 2625 रूपए। मक्का के जो 1100 रूपए थे, हमने बढ़ाकर 1850 रूपए किए। रागी की एमएसपी 1310 रूपए थी लेकिन हमने इसे 2225 रूपए किया। गेहूं के 1500 रूपए थे, हमने इसे बढ़ाकर 2275 रूपए किया। तुअर के 4300 रूपए थे लेकिन हमने इसे बढ़ाकर 7550 रूपए किए। किसानों को उचित दाम देने के लिए समिति की रिपोर्ट आएगी तब हम कार्रवाई करेंगे, लेकिन तब तक हम चुप नहीं बैठे हैं, हमारी सरकार लगातार किसानों के हित में काम कर रही है।

विपक्ष घड़ियाली आँसू बहा रहा है:-
कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह ने कहा कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में अधिकतम एमएसपी पर खरीद हुई और इस साल भी तुअर, मसूर और उड़द, किसान जितनी भी पैदा करेगा, सरकार खरीदेगी। समृद्धि पोर्टल हमने बनाया है, किसान रजिस्ट्रेशन करवाए, उसकी पूरी उपज सरकार खरीदेगी। आँकड़े गवाह हैं कि, जब यूपीए सरकार थी, तब खरीदी कितनी होती थी और जब हमारी सरकार है, तब कितनी खरीदी होती है। साल 2004-05 से 2013-14 के बीच केवल 45 करोड़ 90 लाख मीट्रिक टन खरीदी हुई, जबकि 2014-15 से लेकर 2023-24 के बीच 69 करोड़ 18 लाख मीट्रिक टन खरीदी हुई। गेहूं की खरीदी 2004-05 से 2013-14 के बीच 21 करोड़ मीट्रिक टन थी जो अब बढ़कर 35 करोड़ 38 लाख मीट्रिक टन हो गई है।

दलहन की खरीद 2004-05 से 2013-14 तक केवल 6 लाख मीट्रिक टन थी, जो अब बढ़कर 1 करोड़ 67 लाख मीट्रिक टन हो गई है। तिलहन की खरीद जब इनकी सरकार थी तब केवल 50 लाख मीट्रिक टन थी, जो बढ़कर 87 लाख मीट्रिक टन हो गई है। कपास की गांठ ये खरीदते थे केवल 26 लाख हमने बढ़ाकर 31.17 लाख कपास की गांठ खरीदी है। जब इनकी सरकार थी, धान की खरीद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य से लाभान्वित किसान केवल 78 लाख थे, जो अब बढ़कर 1 करोड़ 3 लाख 83 हजार 248 हो गए हैं। गेहूं की खरीद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य से लाभान्वित होने वाले किसान केवल 20 लाख थे। जो अब बढ़कर 22 लाख 69 हजार 264 हो गए हैं। विपक्ष घड़ियाली आँसू बहा रहा है।

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