नई दिल्लीः दिव्यांगजन संबंधी मामलों के विभाग ने सेवा पुस्तिका में एक कर्मचारी का नाम सामान्य के बजाय दिव्यांग की श्रेणी में शामिल करने में चार साल की देरी के लिए जिम्मेदार पाए गए अधिकारियों को एक अनूठी सजा दी है और उन्हें पांच दिन तक दिव्यांग छात्रों की सेवा करने का आदेश दिया है। दिव्यांगजन संबंधी विभाग के मुख्य आयुक्त राजेश अग्रवाल ने शिकायतकर्ता कर्मचारी की श्रेणी को सामान्य से दिव्यांग में केवल बदलने में सरकार के स्वामित्व वाली महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) की ओर से इस देरी पर कड़ी नाराजगी जताई।
मुख्य आयुक्त ने 16 नवंबर को एक अंतरिम आदेश देकर यह अनूठी सिफारिश की, ताकि दिव्यांगजन मामलों को लेकर उनमें जागरूकता पैदा की जा सके। विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मुख्य आयुक्त ने एमटीएनएल को कार्य में इस देरी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की पहचान करने और उन्हें ‘अमर ज्योति चैरिटेबल ट्रस्ट’ भेजने का निर्देश दिया है।
अधिकारियों को 31 दिसंबर से पहले दिव्यांग छात्रों को पांच दिन सेवा करने का आदेश दिया गया है, ताकि दिव्यांगजनों से संबंधित मुद्दों के प्रति उन्हें संवेदनशील बनाया जा सके। अधिकारी ने कहा कि इसके अलावा, मुख्य आयुक्त ने दूरसंचार कंपनी से अनुशंसित कार्रवाई के कार्यान्वयन के बाद विस्तृत रिपोर्ट सौंपने को भी कहा है।