रांची में माकपा के आदिवासी नेता की हत्या पर बवाल, सड़क पर उतरे लोग

रांची: रांची में सीपीआईएम के नेता सुभाष मुंडा की हत्या के खिलाफ जनाक्रोश फूट पड़ा है। बुधवार रात आठ बजे बाइक पर आए अपराधियों ने उनपर उस वक्त गोलियों की बारिश कर दी थी, जब वे रांची के दलादिली चौक के पास अपने दफ्तर में बैठे थे। उनकी हत्या की खबर इलाके में आग की.

रांची: रांची में सीपीआईएम के नेता सुभाष मुंडा की हत्या के खिलाफ जनाक्रोश फूट पड़ा है। बुधवार रात आठ बजे बाइक पर आए अपराधियों ने उनपर उस वक्त गोलियों की बारिश कर दी थी, जब वे रांची के दलादिली चौक के पास अपने दफ्तर में बैठे थे। उनकी हत्या की खबर इलाके में आग की तरह फैली और देखते-देखते सैकड़ों लोग सड़क पर उतर आए।

दलादिली चौक पर एक शराब दुकान सहित आधा दर्जन गुमटियों और झोपड़ीनुमा दुकानों में लोगों ने आग लगा दी। मौके पर पहुंची पुलिस को भी भीड़ के गुस्से का शिकार होना पड़ा।सिटी एसपी शुभ्रांशु जैन की गाड़ी पर भी हमला हुआ। रात दो बजे तक भीड़ बवाल करती रही। फिलहाल हालात नियंत्रण में है।इस वारदात के खिलाफ आदिवासी संगठनों ने गुरुवार को रांची बंद बुलाया है, जिसका कई इलाकों में खासा असर देखा जा रहा है।सुभाष मुंडा रांची के मांडर-नगड़ी-हटिया इलाके में लोकप्रिय और प्रभावशाली आदिवासी नेता थे। वह हटिया और मांडर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव भी लड़ चुके थे। आदिवासी संगठनों ने सरकार और जिला प्रशासन से हत्यारों गिरफ्तारी जल्द से जल्द करने मांग की है।

आदिवासी सरना महासभा के मुख्य संयोजक देव कुमार धान ने कहा है कि सुभाष मुंडा की हत्या पुलिस-प्रशासन की विफलता है।इधर, मामले में कार्रवाई करते हुए एसएसपी ने नगड़ी थाना प्रभारी को सस्पेंड कर दिया। गुरुवार सुबह दस बजे मुंडा का शव पोस्टमार्टम के बाद जब घर पहुंचा तो सैकड़ों लोग दलादिली चौक पर जमा हो गए। उनके समर्थकों ने शव के साथ रांची-गुमला रोड को जाम कर दिया। रांची के अल्बर्ट एक्का चौक पर भी सीपीएम के कार्यकर्ता और समर्थक प्रदर्शन कर रहे हैं।

सुभाष मुंडा राजनीति के साथ वे जमीन कारोबारी के रूप में भी जाने जाते थे। पुलिस का कहना है कि सुभाष बड़े पैमाने पर जमीन खरीद-बिक्री का भी काम कर रहे थे। आशंका है कि इस हत्याकांड के पीछे जमीन का विवाद हो सकता है। पुलिस इसका पता लगाने का प्रयास कर रही है कि सुभाष का किन किन लोगों से विवाद चल रहा था। इस मामले में पुलिस घरवालों से पूछताछ करने के बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचेगी।अपराधियों ने जिस प्रकार घटना को अंजाम दिया है इससे यह लगता है कि सुभाष मुंडा की पहले रेकी की गई इसके बाद उन्हें गोली मारी गई। अपराधियों को पता था कि सुभाष अपने दफ्तर में बैठे हुए हैं।

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