Site icon Dainik Savera Times | Hindi News Portal

Uttarakhand Tunnel: 9 साल पहले जिस ‘रैट होल माइनिंग’ पर लगा था बैन, उसी ने 41 मजदूरों की बचाई जान

नेशनल डेस्क: उत्तराखंड की सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा ढह जाने से उसमें फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए पहले मशीनों का सहारा लिया गया, लेकिन जब मशीनरी ने जवाब दे दिया तो रैट होल माइनिंग तकनीक काम आई और सुरंग में फंसे मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला गया।

 

ऑगर मशीन ने 48 मीटर तक ड्रिलिंग की थी। इसके बाद रैट होल माइनिंग में माहिर टीम ने जिम्मा उठाया था। मजदूरों को बचाने के लिए ‘रैट-होल’ खनिकों की प्रतिभा और अनुभव का इस्तेमाल किया गया। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने कहा कि ‘रैट-होल’ खनिकों ने 24 घंटे से भी कम समय में 10 मीटर की खुदाई करके अभूतपूर्व काम किया है।

क्या है रैट होल माइनिंग

सुरंग बनाने वाले कुशल कारीगरों की जरूरत होती है। इन कारीगरों को रैट माइनर्स कहा जाता है। रैट होल माइनर्स को संकीर्ण सुरंग बनाने के लिए तैयार किया जाता है। इनका काम मेघालय जैसे इलाकों में कोयला निकालने के लिए किया जाता है। यह माइनर्स हॉरिजॉन्टल सुरंगों में सैकड़ों फीट तक आसानी से नीचे चले जाते हैं। आमतौर पर एक व्यक्ति के लिए पर्याप्त गड्ढा खोदा जाता है। एक बार गड्ढा खोदे जाने के बाद माइनर रस्सी या बांस की सीढ़ियों के सहारे सुरंग के अंदर जाते हैं और फिर फावड़ा और टोकरियों जैसे उपकरणों के माध्यम से मैनुअली सामान को बाहर निकालते हैं। इस प्रॉसेस का सबसे ज्यादा इस्तेमाल मेघालय के कोयला खदान में किया जाता है।

2014 में लगाया गया था बैन

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने 2014 में मेघालय में ‘रैट-होल’ खनन तकनीक का उपयोग करके कोयला खनन पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि, इसके बाद भी कई इलाकों में रैट होल माइनिंग जारी है, जो कि अवैध माना जाता है। मेघालय में सबसे ज्यादा रैट होल माइनिंग होती है, जिसके कारण न जाने कितने ही मजदूरों को अपनी जान गंवानी पड़ जाती है। इसलिए NGT ने इसे बैन किया था।

रैट होल माइनिंग के 12 विशेषज्ञों ने संभाला मोर्चा

उत्तरकाशी में सिलक्यारा सुरंग में रेस्क्यू के लिए ‘रैट-होल’ माइनिंग तकनीक के लिए ट्रेंचलेस इंजीनियरिंग सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड और नवयुग इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा कम से कम 12 विशेषज्ञों को बुलाया गया। वे दिल्ली, झांसी और देश के अन्य हिस्सों से आए।

 

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के सदस्य विशाल चौहान ने कहा कि भले ही इसे तकनीक को बैन कर दिया गया है लेकिन ‘यह एक विशेष स्थिति है, यह जीवन बचाने वाली स्थिति है। उत्तराखंड के चार धाम मार्ग पर निर्माणाधीन सुरंग के ढह गए हिस्से के अंतिम 10 या 12 मीटर के मलबे के माध्यम से क्षैतिज खुदाई में बारह ‘रैट-होल’ खनन विशेषज्ञ लगे थे।

Exit mobile version