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विश्व अंगदान दिवस आज, साल 2005 में पहली बार मनाया गया था ये त्यौहार - Dainik Savera Times | Hindi News Portal
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विश्व अंगदान दिवस आज, साल 2005 में पहली बार मनाया गया था ये त्यौहार

अंगदान जीवन के लिये अमूल्य उपहार ह़ै। हर व्यक्ति के जीवन में अंगदान एक महत्व है। जिससे हम सबको मिलकर इसे लेकर अपने देश में जागरुकता फैलाने की जरुरत है। समाज का हर व्यक्ति किसी को भी एक नया जीवन दे सकता है। जिससे हम सबको मिलकर इस दिवस को एक जागरुकता के रूप मनाना.

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अंगदान जीवन के लिये अमूल्य उपहार ह़ै। हर व्यक्ति के जीवन में अंगदान एक महत्व है। जिससे हम सबको मिलकर इसे लेकर अपने देश में जागरुकता फैलाने की जरुरत है। समाज का हर व्यक्ति किसी को भी एक नया जीवन दे सकता है। जिससे हम सबको मिलकर इस दिवस को एक जागरुकता के रूप मनाना चाहिए। वहीं, साल 2005 ये दिवस पहली बार मनाया गया था, जिसके बाद इस दिवस को लेकर पूरे दुनिया में मनाया जाने लगा। गौरतलब है कि पहली बार साल 1954 में रोनाल्ड ली हेरिक ने अपने जुड़वा भाई को किडनी दान की थी। उनकी अंग दान की यह सर्जरी सफल रही, जिसके बाद उनका जुड़वा भाई अगले 8 वर्षों तक जीवित रहा। इस दिवस को लोकर लोगों में जागरुकता फैलाना और इसके डर को खत्म करना है ताकि लोग अंग दान के महत्व को समझें और इस प्रक्रिया में शामिल होने से घबराएं नहीं। किसी व्यक्ति के जीवन में अंग दान के महत्व को समझने के साथ ही अंग दान करने के लिये आम इंसान को प्रोत्साहित करने के लिये सरकारी संगठनों, सार्वजनिक संस्थानों और दूसरे व्यवसायों से संबंधित लोगों द्वारा हर वर्ष यह दिवस मनाया जाता है।

दुनिया भर के अंगदान दाताओं की संख्या की तुलना में अंगों की मांग काफी अधिक है। हर साल कई मरीज डोनर के इंतजार में मर जाते हैं। आंकड़े बताते हैं कि भारत में 200,000 किडनी की औसत वार्षिक मांग के मुकाबले केवल 6,000 ही प्राप्त होते हैं। इसी तरह, दिलों की औसत वार्षिक मांग 50,000 है, जबकि उनमें से 15 प्रतिशत उपलब्ध हैं। अंग दान करने वालों की संख्या बढ़ाने के लिए अंगदान की आवश्यकता को जनता के बीच संवेदनशील बनाने की आवश्यकता है। सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं जैसे टीवी और इंटरनेट के माध्यम से जागरूकता फैलाना। अंगदान जीवन के लिये अमूल्य उपहार है। अंगदान उन व्यक्तियों को किया जाता है, जिनकी बीमारियाँ अंतिम अवस्था में होती हैं तथा जिन्हें अंग प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है।

जीवित व्यक्ति को अंगदान करने के लिए 18 साल होना अनिवार्य
जीवित व्यक्ति के लिये अंगदान के समय न्यूनतम आयु 18 वर्ष होना अनिवार्य है। साथ ही अधिकांश अंगों के प्रत्यारोपण का निर्णायक कारक व्यक्ति की शारीरिक स्थिति होती है, उसकी आयु नहीं। जीवित अंगदाता द्वारा एक किडनी, अग्न्याशय, और यकृत के कुछ हिस्से दान किये जा सकते हैं।

खूनदान के महत्व को पूरे दुनिया ने समझा
दुनियाभर में रक्तदान के प्रति जागरूकता की वजह से बड़े पैमाने पर लोगों ने इसका महत्व समझा और आगे आकर स्वेच्छा से रक्तदान करने लगे हैं, उसी प्रकार अंगदान के प्रति वैश्विक जागरूकता की महत्ती आवश्यकता है। रक्तदान के बाद दूसरे स्थान पर है नेत्रदान। लोग अब नेत्रदान के लिए भी आगे आने लगे हैं। तथ्य बताते हैं कि वैश्विक स्तर पर अंगदान में भारत की हिस्सेदारी बहुत ही कम है।

 

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