मुजफ्फरपुर : बिहार के Chief Minister Nitish Kumar के मुजफ्फरपुर दौरे से पहले बूढ़ी गंडक नदी पर बने ‘‘बिना संपर्क मार्ग वाले’’ पुल पर सफेदी किये जाने की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद जिला प्रशासन ने बुधवार को कहा कि इसका मुख्यमंत्री के दौरे से कोई लेना-देना नहीं है। मुख्यमंत्री अपनी ‘‘प्रगति यात्रा’’ के क्रम में 27 दिसंबर को विकास परियोजनाओं की समीक्षा के लिए मुजफ्फरपुर जिले के दौरे पर आने वाले है। बिना संपर्क मार्ग वाले पुल पर सफेदी करने को लोग मुख्यमंत्री के दौरे से जोड़कर देख रहे हैं। मुजफ्फरपुर के जिलाधिकारी सुब्रत सेन ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि उपरोक्त पुल पर सफेदी करने का मुख्यमंत्री के दौरे से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘पता नहीं इसे 27 दिसंबर के लिए निर्धारित मुख्यमंत्री के दौरे से क्यों जोड़ा जा रहा है? मुख्यमंत्री का इस इलाके में आने का कोई कार्यक्रम ही नहीं है। संबंधित ठेकेदार ही काम (सफेदी) करवा रहा होगा। जिला प्रशासन को इसकी कोई जानकारी नहीं है।’’ हालांकि जिलाधिकारी ने कहा, ‘‘उपरोक्त परियोजना अभी अधूरी है. बूढ़ी गंडक नदी पर बने रहे पुल पर सिर्फ संपर्क मार्ग बनाने का काम बाकी है बाकी सब पूरा हो चुका है।
45 करोड़ रुपये की परियोजना को 2017-2018 तक पूरा किया जाना था
बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड (बीआरपीएनएनएल) ने संपर्क मार्ग के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पहले ही तेज कर दी है और परियोजना 2025 में पूरी हो जाएगी।’’ उन्होंने कहा कि इस परियोजना से न सिर्फ मुजफ्फरपुर में यातायात जाम कम होगा बल्कि मुजफ्फरपुर तथा दरभंगा के बीच सफर में लगने वाला समय भी घट जाएगा। मुसहरी अनुमंडल के अधिकारियों के अनुसार, पुल का शिलान्यास 2014-2015 में मुख्यमंत्री ने किया था और 45 करोड़ रुपये की इस परियोजना को 2017-2018 तक पूरा किया जाना था। अब बीआरपीएनएनएल के अधिकारियों ने चंदवारा पुल के संपर्क मार्ग के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। संपर्क मार्ग को छोड़कर इस 130 मीटर लंबे पुल का बाकी निर्माण पूरा हो चुका है। इस बीच, इस परियोजना में हो रही देरी पर प्रतिक्रिया देते हुए राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रदेश प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘इस परियोजना के पूरा होने में हो रही अत्यधिक देरी ने नीतीश कुमार के बड़े-बड़े दावों की पोल खोल दी है। यह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के बिहार में विकास के बड़े-बड़े दावों के खोखलेपन का सटीक उदाहरण है।’’