जालंधर: प्रवर्तन निदेशालय (ED) के अधिकारियों ने जालंधर आफिस में दिनभर पूर्व कांग्रेस सरकार में खाद्य आपूर्ति (Food And Civil Supply) मंत्री रहे भारत भूषण आशु को गिरफ्तार कर लिया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने Food and Civil Supplies transport tender घोटाले में पूर्व मंत्री आशू को समन जारी कर आज सुबह जालंधर ऑफिस में पूछताछ के लिए बुलाया था।
ईडी के अधिकारियों ने जालंधर आफिस में दिनभर पूर्व मंत्री आशु से पूछताछ की और जो उनके घर से कैश और दस्तावेज मिले थे उनके बारे में पूछा। ईडी के अधिकारियों को जब लगा कि आशू उनके सवालों के सही से जवाब नहीं दे रहे हैं और वह पूर्व मंत्री के जवाबों से वह असंतुष्ट हैं तो उन्होंने शाम के वक्त उनकी गिरफ्तारी डाल दी।
ईडी के अधिकारी आशू को गिरफ्तार करने के बाद अब सिविल अस्पताल जालंधर में लेकर गए उनका मेडिकल करवाया। ईडी के अधिकारियों का कहना है कि भारत भूषण आशू को शुक्रवार को जालंधर में स्थित कोर्ट में पेश किया जाएगा और पूछताछ के लिए उनका रिमांड हासिल करने की कोशिश करेंगे। आशू और विभाग के अधिकारियों के खिलाफ भगवंत मान सरकार ने ट्रांसपोर्ट टेंडर में हुए घोटाले को लेकर पंजाब विजीलैंस ब्यूरो को जांच सौंपी थी।
विजीलैंस ने पूर्व मंत्री, उनके नजदीकियों और अधिकारियों से पूछताछ की थी और सभी को गिरफ्तार करके जेल भेजा था। निचली अदालतों से जमानत याचिकाएं रद होने के बाद सभी ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में जमानत याचिकाएं लगाई थीं वहां से इन्हें राहत मिली थी।
जेल से छूटने के बाद अब केंद्रीय एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पूर्व मंत्री पर शिकंजा कस दिया है।
पिछले साल छापामारी कर पकड़ा था कैश और दस्तावेज
उल्लेखनीय है कि पिछले साल ईडी को तलाशी के दौरान करीब डेढ़ करोड़ रुपये की पांच संपत्तियों की जानकारी मिली थी। ईडी के अधिकारियों का आशंका है कि यह संपत्तियां भ्रष्टाचार के पैसे से बनाई गई हैं। जांच एजेंसी ने तलाशी के दौरान करीब 30 लाख रुपये की नकदी भी जब्त की थी। इस सबके बाद ही अपनी जांच शुरू की थी।
ईडी आशू के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत कार्रवाई कर रही है। पूर्व मंत्री भारत भूषण आशु जब खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के मंत्री थे। उन पर करीब दो हजार करोड़ रुपये के टेंडर घोटाले का आरोप लगा था। पंजाब की मंडियों में लेबर और ट्रांसपोर्टेशन के टेंडरों में बड़े पैमाने पर अनियमितता हुई थी। इस मामले में जांच के दौरान यह भी सामने आया था कि ट्रांसपोर्टेशन और सप्लाई के नाम पर कई फर्जी वाहन और उनके नाम का दुरुपयोग किया गया था।