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Good News: अब दालों को नहीं लगेगा कीड़ा, पी.ए.यू. ने तैयार की प्रोटैक्शन किट

अब 6 महीने तक दालों की हिफाजत करेगी ‘स्ट्रिप्स’, पीएयू के प्रोसैसिंग व फूड इंजीनियरिंग विभाग में जल्द होगी उपलब्ध।

लुधियाना। अब 6 महीने तक बंद दालों की प्रोटेक्शन किट हिफाजत करेगी। इससे उमस व बरसात के मौसम दालों को कीड़ा लगने का डर नहीं सताएगा। इस किट को पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी के प्रोसैसिंग व फूड इंजीनियरिंग विभाग माहिरों ने तैयार किया है। किट में स्ट्रिप्स है, जो दालों के डिब्बे या पैकेट रखकर या चिपका दिया जाए तो दालों को कीड़ा नहीं लग सकेगा। यह स्ट्रिप्स 6 महीने तक काम करेगी। इस किट को ऑर्गैनिक तत्वों से तैयार किया गया है जिससे सेहत पर किसी तरह का असर नहीं पड़ेगा। टैक्नोलॉजी मार्कीटिंग व आईपीआर सैल के एसोसिएट डायरैक्टर डा. खुशदीप धारनी ने बताया कि दालों को 6 महीने तक स्टोर किया जा सकता है। जबकि ऑर्गैनिक सॉल्यूशन की शेल्फ लाइफ एक साल की है।

साइंटिस्ट्स ने बताया कि इस ऑग्रैनिक सॉल्यूशन को एनवायरनमैंटल प्रोटैक्शन एजैंसी (ईपीए) द्वारा भी सुरक्षित घोषित किया गया है। इस किट को जल्द ही प्रोसैसिंग व फूड इंजीनियरिंग विभाग में भी उपलब्ध करवाया जाएगा। जहां से किट को कोई भी खरीद सकता है। किट को विभाग के 4 साइंटिस्ट डा. मनप्रीत कौर सैनी, डा. एमएस आलम, डा. सुरेखा भाटिया और डा. अंजलि सिद्धू द्वारा रिसर्च के बाद तैयार किया गया है। किट को तैयार करने के लिए यूनिविर्सटी के वाइस चांसलर डा. सतबीर सिंह गोसल ने साइंटिस्ट को बधाई दी। डायरैक्टर रिसर्च डा. अजमेर सिंह ढट्ट ने कहा कि उमस और बारिश के मौसम में दालों को बचाना एक मुश्किल काम रहता है। इस किट की मदद से अब समस्या का हल हो जाएगा।

दालों में मात्र के हिसाब से डाले सॉल्यूशन की बूंदें डा. मनप्रीत कौर सैनी ने बताया कि किट में ऑर्ग्ैनिक सॉल्यूशन की वायल, स्ट्रिप्स दी गई है। जिसे, इस्तेमाल करने का तरीका भी आसान है। हर चीज को दाल की मात्र के हिसाब से इस्तेमाल किया जा सकता है। अगर दाल 500 ग्राम भी है तो भी इसे आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है। न्यूनतम 3 बूंदें डालेंगे तो दालों को कीड़ा लगने से बचाया जा सकता है। इस किट का फाइनल रेट अभी तय किया जाएगा। लेकिन, प्रति पैकेट के मुताबिक इसे अप्लाई करने का खर्च महज 5 रु पए आएगा। रिटेलर्स द्वारा दालों को कई बार कम घनत्व वाले लिफाफे में रखा जाता है। ऐसे में कीड़ा लगने पर आम जनता भी उस पैकेट को नहीं खरीदती। इससे उत्पादन और आमदनी दोनों नुक्सान होता है।

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