खनौरी सीमा पर मारे गए किसान शुभकरण का हुआ अंतिम संस्कार, ‘दिल्ली चलो’ मार्च पर कोई घोषणा नहीं

महिलाओं और बच्चों का जोश कम नहीं; रिटायर्ड फौजी, व्यापारी और अन्य प्रदेशों के लोग पहुंचे शंभू बार्डर।

राजपुरा। खनौरी सीमा पर मारे गए किसान शुभकरण सिंह का अंतिम संस्कार ब¨ठडा में उनके पैतृक गांव में कर दिया गया। खनौरी सीमा पर 21 फरवरी को हुई झड़प में 21 वर्षीय शुभकरण की मौत हो गई थी और 12 पुलिस कर्मी घायल हुए थे। हालांकि, वीरवार देर शाम तक किसान संगठनों की ओर से उनके अगले कदम की कोई घोषणा नहीं की गई। झड़प तब हुई थी जब प्रदर्शनकारी किसानों ने आगे बढ़ने के लिए सुरक्षाकर्मियों द्वारा लगाए गए अवरोधकों को तोड़ने की कोशिश की थी। एमएसपी की कानूनी गारंटी और कृषि ऋण माफ करने सहित विभिन्न मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाने के इरादे से संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) ने ‘दिल्ली चलो’ का आह्वान किया है। इस बीच, किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि विभिन्न मांगों को लेकर उनका प्रदर्शन जारी है। उन्होंने कहा, ‘शंभू और खनौरी सीमा पर आंदोलन जारी है।’ उन्होंने कहा कि शुभकरण को श्रद्धांजलि देने के लिए एसकेएम (गैर राजनीतिक) और किसान मोर्चा की बैठक 3 मार्च को बठिंडा के बल्लोह गांव में होगी।

पंधेर ने लोगों से बड़ी संख्या में इसमें शामिल होने की अपील की। किसानों के परिवारों से पहुंची महिलाओं के जोश में कोई कमी नहीं दिखी। अपने हाथों में माइक पकड़कर जहां केंद्र व हरियाणा सरकार के खिलाफ नारेबाजी करती दिखीं। वहीं लोगों को जागरूक करने के लिए किसानों द्वारा मांगी जा रही एमएसपी व अन्य मांगों के बारे में भी विस्तार पूर्वक जानकारी देती रही। उनके इस संघर्ष में बच्चे भी नारेबाजी करते नजर आए। बार्डर पर ही दूध, लस्सी, खीर, लड्डू, दाल-रोटी के जगह-जगह लंगर चलते रहे ताकि लोग भूखे न रह सकें। शंभू बार्डर पर ही भिंडरावाला, अमृतपाल व दीप सिद्धू के पोस्टर भी लगाए गए हैं। वहीं, शंभू बार्डर पर ही हादसे में घायल होने के बाद भी नर्स हीना जख्मी किसानों की सेवा करती नजर आ रही है।

हीना ने बताया कि वह पेशे से जालंधर में स्टाफ नर्स हैं। उसका थोड़े दिन पहले एक्सिडैंट हो गया था। जिससे, उसके घुटने में चोट आ गई और वह पूरी तरह चल फिर नहीं सकती उसके बावजूद भी वह किसानों के धरने में पिछले 17 दिनों से आई हुई हैं और अपने साथियों के साथ दवाइयां भी साथ लेकर आई हैं जो किसानों की सेवा को ही अपना धर्म समझती हैं।

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