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पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने SC के निर्देश पर सांसदों, विधायकों के खिलाफ मामले पर लिया नोटिस

चंडीगढ़ (नीरू) : पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab and Haryana High Court) ने नवंबर में जारी सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के निर्देशों का पालन करते हुए संसद और विधानसभा सदस्यों के खिलाफ लंबित अपराधिक मामलों के शीघ्र निपटान के लिए संज्ञान लिया है। हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति जीएस संध्या वालिया और न्यायमूर्ति लेपिता बनर्जी की खंडपीठ ने पंजाब हरियाणा, चंडीगढ़ हाई कोर्ट और भारत संघ के रजिस्टार जनरल ऑफ हाई कोर्ट और यूनियन ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को लंबित मामलों के शीघ्र निपटान के लिए निर्देश जारी किए:-

1. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों के शीघ्र निपटारे के लिए निगरानी रखने पुनः नामित कोर्टों में संज्ञान लेते हुए केसों की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व वाली विशेष पीठ या फिर उसके द्वारा नियुक्त पीठ द्वारा की जा सकती है।

2. संज्ञान मामले की सुनवाई करने वाली विशेष पीठ अवयशक्ता महसूस होने पर मामले को नियमित अंतराल पर सूचीबद्ध कर सकती है, हाईकोर्ट मामलों के शीघ्र और प्रभावी निपटान के लिए अवयशक आदेश और निर्देश जारी कर सकता है और विशेष पीठ अदालत की सहायता के लिए एडवोकेट जनरल या अभियोजक को बुलाने पर विचार कर सकती है।

3. हाईकोर्ट को ऐसे न्यायालों को विशेष मामलों को आवंटित करने की जिम्मेदारी वहन करने के लिए एक प्रधान जिला और सत्र न्यायधीश की अवयशक्त हो सकती है। हाईकोर्ट ऐसे अंतरालों पर रिपोर्ट भेजने के लिए प्रधान जिला और न्यायाधीश को बुला सकता है।

4. नामित अदालत संसाधन विधायकों के खिलाफ मौत या आजीवन कारावास की सजा वाले आपराधिक मामलों पर, 5 साल या उससे अधिक की कैद की सजा वाले मामलों पर और अन्य मामलों पर प्राथमिकता देगी। ट्रायल कोर्ट रेअर और बाध्यकारी कारणों को छोड़कर किसी भी केस को स्थगित नहीं करेगी।

5. न्यायाधीश उन मामलों को विशेष पीठ को सूचीबध तरीके से कर सकते है, जहां मुकदमे पर रोक लगा दी गई है। ये भी सुनिश्चित किया जा सके कि मुकदमे की शुरुआत के लिए उचित आदेश, रोक आदेश को हटा दिया जाए।

6. प्रधान जिला और सत्य न्यायाधीश नामित अदालत के लिए पर्याप्त बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित करेंगे और इसे प्रभावी कामकाज के लिए उपयुक्त तकनीक अपनाने में भी सक्षम बनाएंगे।

7. इसके साथ ही उच्च न्यायालय वेबसाइट पर एक स्वतंत्र तब बनाएगा जिसमें दाखिल करने के लिए वर्ष लंबित विषय मामलों की संख्या और कार्यवाही के चरण के विवरण के बारे में जानकारी प्रदान करेगा।

अगली सुनवाई 9 फरवरी को होगी नाइल के सीनियर अधिवक्ता रुपिंदर इसकोसला को इस मामले में एमिकस क्यूरी नियुक्त किया गया है।

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