Punjab-Haryana water dispute: पंजाब और हरियाणा के बीच भाखड़ा नंगल डैम से जल वितरण को लेकर चल रहे विवाद पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए पंजाब सरकार से कहा कि वह केंद्रीय सरकार की बैठक में लिए गए निर्णय का अनुपालन सुनिश्चित करे, जिसमें हरियाणा को अतिरिक्त जल आपूर्ति का फैसला लिया गया था। मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति सुमीत गोयल की खंडपीठ ने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) के चेयरमैन मनोज त्रिपाठी द्वारा दायर हलफनामे का अवलोकन करते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया यह अवमानना का मामला प्रतीत होता है।
हलफनामे में बताया गया है कि पंजाब पुलिस ने चेयरमैन को डैम परिसर में प्रवेश से रोक दिया, जिससे वे अपने कर्तव्य का निर्वहन नहीं कर सके। कोर्ट ने दो टूक कहा, जब तक आदेश मौजूद है, उसे लागू करना ही होगा। हम यह नहीं देख सकते कि बैठक वैध थी या नहीं, या निर्णय किस अधिकार से लिया गया था। बीबीएमबी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश गर्ग ने बताया कि पंजाब पुलिस ने डैम परिसर को ताला लगाकर अधिकारियों को 200 क्यूसेक पानी छोड़ने से रोका।
कोर्ट को यह भी बताया गया कि दो मई को केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में पंजाब सरकार के दो अधिकारी उपस्थित थे, इसलिए वे इस निर्णय से अवगत थे। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल सत्य पाल जैन ने कोर्ट को बताया कि यदि किसी राज्य को बैठक के निर्णय पर आपत्ति है, तो वह केंद्रीय विद्युत मंत्रलय के सचिव को अपनी आपत्ति प्रस्तुत कर सकता है। हरियाणा के महाधिवक्ता प्रविंदर सिंह चौहान ने बताया कि यह बैठक जल आबंटन पर नहीं, बल्कि कानून-व्यवस्था की स्थिति पर केंद्रित थी, क्योंकि पंजाब पुलिस ने भाखड़ा डैम पर नियंत्रण कर लिया था।
हरियाणा ने सिर्फ आदेश के अनुपालन की मांग की थी। जब कोर्ट ने पूछा कि क्या पंजाब सरकार हाईकोर्ट के 6 मई के आदेश का पालन करेगी, तो वरिष्ठ अधिवक्ता सिंह ने जवाब दिया कि उन्हें इस पर कोई निर्देश प्राप्त नहीं हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह किसी को जेल नहीं भेज रहा है, बल्कि सिर्फ कारण बताओ नोटिस जारी कर रहा है। जिसका, जवाब देने का अवसर सभी को दिया जाएगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि पंजाब सरकार के वकील यह लिखित बयान दें कि वे आदेश का पालन करेंगे, तो कार्रवाई टाली जा सकती है।
यह मामला ग्राम पंचायत की ओर से दाखिल एक अवमानना याचिका पर चल रहा है। जिसमें, आरोप लगाया गया है कि हाईकोर्ट द्वारा 7 मई को जारी आदेश के बावजूद पंजाब पुलिस बीबीएमबी अधिकारियों के कार्य में हस्तक्षेप कर रही है। कोर्ट ने बीबीएमबी चेयरमैन से इस संबंध में शपथ-पत्र देने को कहा था।