14 सालों से कम वेतन पर काम करने वाले अध्यापकों की सेवाएं की रैगुलर : मंत्री Harjot Bains

चंडीगढ़ : मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने सोमवार को एक और मुलाजिम हितैषी फैसला लेते हुए पंजाब राज्य से बाहर की मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटियों में से उच्च योग्यता हासिल करने वाले 100 के करीब अध्यापकों की सेवाओं को रैगुलर कर दिया है। ये अध्यापक 14 सालों से कम वेतन पर.

चंडीगढ़ : मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने सोमवार को एक और मुलाजिम हितैषी फैसला लेते हुए पंजाब राज्य से बाहर की मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटियों में से उच्च योग्यता हासिल करने वाले 100 के करीब अध्यापकों की सेवाओं को रैगुलर कर दिया है। ये अध्यापक 14 सालों से कम वेतन पर रैगुलर सेवाएं दे रहे थे।

शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने बताया कि पिछले 14 साल पहले यानि साल 2009 और 2011 में हुई 7,654 और 3,442 की भर्ती के समय कुछ अध्यापकों की तरफ से दूसरे राज्यों की मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटियों से डिस्टैंस मोड द्वारा उच्च योग्यता हासिल की गई थी, जिस कारण इन अध्यापकों की सेवाओं को 14 सालों से रैगुलर नहीं किया गया। बैंस ने बताया कि जब यह मामला उनके संज्ञान में आया तो उन्होंने इस मामले संबंधी सैकेंडरी शिक्षा विभाग के डायरैक्टर के नेतृत्व अधीन उच्चस्तरीय कमेटी का गठन करके रैगुलाइजेशन प्रक्रिया मुकम्मल करने के निर्देश दिए थे।

शिक्षा मंत्री के अनुसार अब सिर्फ कुछेक अध्यापक ही रैगुलर होने रह गए हैं जिनके दस्तावेजों की जांच का काम जारी है जिनको इसी हफ्ते के दौरान ही मुकम्मल कर दिया जाएगा। डायरैक्टर शिक्षा विभाग सैकेंडरी शिक्षा संजीव शर्मा द्वारा इन अध्यापकों को सेवाएं रैगुलर करने का पत्र सौंपा। बैंस ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के आदेशों अनुसार शिक्षा विभाग की डिक्शनरी में से ‘कच्चे अध्यापक’ शब्द को सदा के लिए खत्म करने की कोशिशें लगातार जारी हैं।

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