चंडीगढ़: पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) के पूर्व अध्यक्ष विजय सांपला ने सोमवार को पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के संबंध में भ्रामक तथ्य और आंकड़े पेश करने के लिए पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा की आलोचना की। सांपला ने स्पष्ट किया कि भाजपा नीत केंद्र सरकार ने इस योजना के लिए पंजाब को सैकड़ों करोड़ रुपये जारी किए हैं, लेकिन राज्य सरकार दलित छात्रों की बेहतरी के लिए इन धनराशियों का उपयोग करने में विफल रही है। सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, वरिष्ठ भाजपा नेता विजय सांपला ने कहा, “हरपाल चीमा ने दावा किया कि केंद्र ने 2017 से पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना में नामांकित पंजाब के छात्रों के लिए अपने हिस्से का 60% धन जारी नहीं किया है।
यह बयान निराधार, भ्रामक है और इसमें तथ्यों का सत्यापन नहीं है।” सांपला ने कहा, ‘‘सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में पंजाब में दलित छात्रों के लिए 229 करोड़ रुपये जारी किए, इसके अलावा पंजाब सरकार द्वारा 140 करोड़ रुपये अप्रयुक्त पड़े थे। पंजाब सरकार ने स्वीकार किया था कि केंद्र सरकार की 140 करोड़ रुपये की धनराशि अप्रयुक्त रह गई।” वर्ष 2021-22 में 1.92 लाख छात्र इस योजना के लिए पात्र थे और केंद्र सरकार ने उनके लिए 272.73 करोड़ रुपये जारी किए। सांपला ने कहा कि 2022-23 के लिए पंजाब सरकार ने 1.98 लाख पात्र छात्रों की सूचना दी और केंद्र सरकार ने 248.99 करोड़ रुपये जारी किए।
सांपला ने स्पष्ट किया, “वर्ष 2023-24 के लिए पंजाब सरकार ने अभी तक पूरा डेटा संकलित नहीं किया है। हालांकि, अब तक संकलित आंकड़ों के आधार पर केंद्र सरकार ने लगभग 79,000 छात्रों के लिए 172 करोड़ रुपये पहले ही जारी कर दिए हैं।” गौरतलब है कि पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत 2020-2021 से केंद्र सरकार 60 प्रतिशत धनराशि का योगदान दे रही है, जबकि राज्य सरकार 40 प्रतिशत योगदान दे रही है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि यदि इस योजना में वर्तमान में 2.40 लाख छात्र नामांकित हैं, तो सरकार केवल 1.17 लाख छात्रों के लिए धनराशि जारी कर रही है। सांपला ने पूछा, “सरकार अन्य छात्रों को उनके अधिकारों से क्यों वंचित कर रही है?”