पैरिस: टोक्यो खेलों के रजत पदक विजेता भारत के प्रवीण कुमार ने शुक्रवार को यहां पैरिस पैरालंपिक में पुरुषों की ऊंची कूद टी64 स्पर्धा में एशियाई रिकॉर्ड तोड़कर स्वर्ण पदक जीत लिया। छोटे पैर के साथ पैदा हुए नोएडा के प्रवीण (21 साल) ने 6 खिलाड़ियों में 2.08 मीटर से सत्र की सर्वश्रेष्ठ कूद लगाई और शीर्ष स्थान हासिल किया।
अमरीका के डेरेक लोकिडेंट ने 2.06 मीटर की सर्वश्रेष्ठ कूद के साथ रजत पदक जीता जबकि उज्बेकिस्तान के टेमुरबेक गियाजोव ने व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ 2.03 मीटर से तीसरा स्थान हासिल किया। प्रवीण के स्वर्ण पदक से भारत पदक तालिका में 14वें स्थान पर पहुंच गया। भारत ने अब तक 6 स्वर्ण, 9 रजत और 11 कांस्य पदक से पैरालंपिक खेलों के एक चरण में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी दर्ज किया।
भारत ने प्रवीण के स्वर्ण से टोक्यो पैरालंपिक के स्वर्ण पदकों की तालिका को भी पीछे छोड़ दिया। टोक्यो पैरालंपिक में भारत ने पांच स्वर्ण, छह रजत और आठ कांस्य पदक जीते थे। प्रवीण ने देश के लिए छठा स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने 1.89 मीटर से शुरुआत करने का विकल्प चुना। अपने पहले प्रयास में उन्होंने सफलता हासिल की और स्वर्ण पदक जीतने के लिए खुद को शीर्ष स्थान पर बनाये रखा।
इसके बाद प्रवीण और लोकिडेंट के बीच शीर्ष स्थान के लिए मुकाबला जारी रहा, लेकिन भारतीय एथलीट इसमें सफल रहा। यह 2023 विश्व चैंपियनशिप के कांस्य पदक विजेता प्रवीण का व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी था। टी64 में वो एथलीट हिस्सा लेते हैं जिनके एक पैर के निचले हिस्से में मामूली रूप से मूवमैंट कम होता है या घुटने के नीचे एक या दोनों पैर नहीं होते।
प्रवीण का विकार जन्म से है जो उनके कूल्हे को बायें पैर से जोड़ने वाली हड्डियों को प्रभावित करता है। बचपन में वह अकसर अपने साथियों से तुलना के कारण हीन भावना से जूझते रहे।
इस असुरक्षा की भावना से लड़ने के लिए उन्होंने खेल खेलना शुरू किया और वॉलीबॉल में हाथ आजमाया। पर एक पैरा एथलैटिक्स प्रतियोगिता में ऊंची कूद स्पर्धा में भाग लेने के बाद उनकी जिंदगी बदल गई। शरद कुमार और मरियप्पन थंगावेलु के बाद प्रवीण पैरिस में पदक जीतने वाले ऊंची कूद के तीसरे एथलीट हैं। शरद ने तीन सितंबर को पुरुषों की ऊंची कूद टी63 स्पर्धा में रजत और थंगावेलु ने कांस्य पदक जीता था।