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रेटिना की मोटाई कम होना टाइप 2 डायबिटीज और डिमेंशिया जैसी बीमारियों का शुरुआती संकेत : शोध

Reduction in Retinal Thickness

Reduction in Retinal Thickness

Reduction in Retinal Thickness : रेटिना की मोटाई का कम होना टाइप 2 डायबिटीज और डिमेंशिया जैसी बीमारियों का शुरुआती संकेत हो सकता है। ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों के नेतृत्व में किए गए एक अंतरराष्ट्रीय शोध में यह बात सामने आई है।

एक समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, मेलबर्न के वॉल्टर और एलाइजा हॉल इंस्टीटय़ूट ऑफ मेडिकल रिसर्च (WEHI) के वैज्ञानिकों ने 50,000 से अधिक आंखों का विश्लेषण किया, ताकि यह समझा जा सके कि रेटिना में होने वाले बदलाव बीमारियों से कैसे जुड़े होते हैं। वैज्ञानिकों ने बहुत बारीकी से रेटिना का नक्शा तैयार किया और पाया कि रेटिना का पतला होना टाइप 2 डायबिटीज, डिमेंशिया और मल्टीपल स्क्लेरोसिस (एमएस) जैसी आम बीमारियों से जुड़ा है।

ऊत्तकों की धीरे-धीरे कमी-
रेटिना आंख के पीछे स्थित एक प्रकाश-संवेदनशील परत होती है, जो हमारे केंद्रीय तंत्रिका तंत्र का हिस्सा होती है। डिमेंशिया, डायबिटीज और एमएस जैसी बीमारियां इस तंत्र के कमजोर होने या गड़बड़ी से जुड़ी होती हैं। रेटिना का पतला होना (लैटिस डिजेनेरेशन) दरअसल उसकी ऊत्तकों की धीरे-धीरे कमी को दर्शाता है।

सामान्य बीमारियों से है सम्बन्ध-
WEHI की प्रमुख शोधकर्ता विकी जैक्सन का कहना है कि इस खोज से पता चलता है कि रेटिना इमेजिंग का इस्तेमाल केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को समझने और बीमारियों का पता लगाने के लिए किया जा सकता है। उन्होंने बताया, ‘हमारे नक्शों से मिली बारीक जानकारी यह दर्शाती है कि रेटिना की मोटाई और कई सामान्य बीमारियों के बीच गहरा संबंध है।‘

AI का हुआ प्रयोग-
इस शोध में यूके और अमेरिका के वैज्ञानिक भी शामिल थे। टीम ने AI की मदद से 50,000 नक्शे तैयार किए, जिनमें हर रेटिना के 29,000 से अधिक बिंदुओं का विश्लेषण किया गया। इस अध्ययन से वैज्ञानिकों ने 294 ऐसे जीन की पहचान की, जो रेटिना की मोटाई को प्रभावित करते हैं और बीमारियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि आंखों की नियमित जांच के जरिए इन बीमारियों की पहचान और नियंत्रण में मदद मिल सकती है।

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