अमेठी: संजय गांधी अस्पताल के डॉक्टरों-कर्मियों का धरना, कांग्रेस के सत्याग्रह में सपा भी शामिल

अमेठीः अमेठी में इलाज में कथित लापरवाही के कारण एक महिला की मौत के बाद संजय गांधी अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर उसकी सेवाओं पर रोक लगाए जाने के बाद, संस्थान के 400 से अधिक कर्मचारी एवं डॉक्टर अस्पताल के गेट पर मंगलवार को अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गये। इसके पहले कांग्रेस ने भी सोमवार.

अमेठीः अमेठी में इलाज में कथित लापरवाही के कारण एक महिला की मौत के बाद संजय गांधी अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर उसकी सेवाओं पर रोक लगाए जाने के बाद, संस्थान के 400 से अधिक कर्मचारी एवं डॉक्टर अस्पताल के गेट पर मंगलवार को अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गये। इसके पहले कांग्रेस ने भी सोमवार से मामले को लेकर सीएमओ कार्यालय पर धरना और सत्याग्रह शुरू किया है, जिसके समर्थन में आज से समाजवादी पार्टी भी धरने में शामिल हो गई। जिले के संजय गांधी अस्पताल को 17 सितंबर को 22 वर्षीय एक विवाहित महिला की मौत के बाद बंद कर दिया गया था और उसका लाइसेंस निलंबित कर दिया गया। संजय गांधी चिकित्सालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष संजय सिंह ने बताया कि ”राजनीतिक ईर्ष्या भावना के चलते अस्पताल बंद किया गया है!

अस्पताल में 400 से अधिक कर्मचारी एवं डाक्टर काम करते हैं। अस्पताल बंद होने से सभी बेरोजगार हो गये और सभी के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।” सिंह ने बताया कि इस अस्पताल में लगभग 800 मरीज प्रतिदिन इलाज के लिए आते थे। उन्होंने कहा कि केवल अमेठी ही नहीं बल्कि सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, रायबरेली, बाराबंकी तक से मरीज यहां आते थे और अब सभी परेशान हैं। संजय सिंह ने कहा कि जब तक अस्पताल की सेवाओं को बहाल नहीं किया जायेगा तब तक धरना जारी रहेगा। उधर कांग्रेस के पूर्व एमएलसी दीपक सिंह का सत्याग्रह आज दूसरे दिन भी सीएमओ कार्यालय पर जारी है। दीपक सिंह ने कहा कि जब तक संजय गांधी अस्पताल की सेवाएं बहाल नहीं होतीं और जिले के सरकारी अस्पतालों की बदहाल चिकित्सा व्यवस्था में सुधार नहीं होता, तब तक उनका धरना और सत्याग्रह जारी रहेगा।

सीएमओ कार्यालय पर दीपक सिंह द्वारा किए जा रहे सत्याग्रह और धरने में आज से समाजवादी पार्टी भी शामिल हो गयी। सपा के जिलाध्यक्ष राम उदित यादव अपने तमाम कार्यकर्ताओं के साथ सीएमओ कार्यालय पहुंचकर धरने पर बैठ गए। अमेठी के राम शाहपुर की महिला मरीज दिव्या शुक्ला 14 सितंबर को पथरी के ऑपरेशन के लिए संजय गांधी अस्पताल में भर्ती थी और उसकी मौत के बाद अस्पताल विवादों में आ गया। दिव्या के पति अनुज शुक्ला ने दावा किया कि उसकी पत्नी को अधिक मात्रा में एनेस्थीसिया (बेहोशी की दवा) दिया गया, जिससे उसकी हालत बिगड़ी और उसकी मौत हो गयी। इस मामले में प्राथमिकी भी दर्ज हुई। दिव्या की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल का पंजीकरण निलंबित कर दिया।

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