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domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init
action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /var/www/dainiksaveratimescom/wp-includes/functions.php on line 6114कानपुरः उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले की घाटमपुर पुलिस की एक चूक के कारण एक व्यक्ति को दस दिन जेल में बिताने पड़े। प्रमोद संखवार के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया, जिसे पहले 2021 में अवैध बंदूक रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। लेकिन ये वारंट शहर के वसंत विहार इलाके के निवासी प्रमोद साहू को दे दिया गया। साहू, जिसे यह साबित करने वाले दस्तावेज पेश करने के बाद भी जेल में डाल दिया गया कि वह वह व्यक्ति नहीं है जिसकी पुलिस तलाश कर रही थी, उसे 10 दिनों की जेल के बाद 22 सितंबर को जमानत दे दी गई। स्थिति की गंभीरता को स्वीकार करते हुए, संयुक्त पुलिस आयुक्त (जेसीपी) आनंद प्रकाश तिवारी ने दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया। जेसीपी ने कहा, ’यह काफी गंभीर है।
घाटमपुर एसीपी ने जांच शुरू कर दी है और जांच रिपोर्ट के आधार पर पुलिसकर्मयिों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।’ 2021 में अपनी गिरफ्तारी के बाद, दुर्गा प्रसाद का बेटा संखवार जमानत पर बाहर था। अधिकारियों ने बताया कि, वह अदालत में पेश होने में विफल रहा, जिसके बाद सिविल जज, जूनियर डिवीजन द्वारा इस साल 24 अगस्त को उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया। हालांकि, संखवार के लिए भेजा गया वारंट गलती से साहू को दे दिया गया, जिसका एकमात्र दोष यह था कि उसका पहला नाम भी आरोपी के समान था और पिता का नाम भी दोनों का एक ही था।
साहू ने कहा, ’मैं उनसे विनती करता रहा, यहां तक कि उन्हें अपने पहचान पत्र भी दिखाए, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। पुलिसकर्मयिों ने साहू को बताया कि उसका नाम प्रमोद कुमार है, उसके पिता की मृत्यु हो चुकी है और वह अपनी प}ी को पीटता है, जिसकी पहचान उन्होंने उषा के रूप में की है।’ साहू ने अपनी बेगुनाही का दावा किया।
उन्होंने कहा, ‘मेरे पिता दुर्गा प्रसाद साहू जीवित हैं, और मेरी प}ी मेरे साथ रहती है, और उसका नाम उषा नहीं है।‘ फिर भी, पुलिस अधिकारियों ने उस पर गलत तरीके से उस अपराध का आरोप लगाया। मामले ने काफी लोगों का ध्यान खींचा है, जिसके चलते साहू को कमिश्नर आरके स्वर्णकार के सामने पेश होना पड़ा, जिससे घटना की आधिकारिक जांच शुरू हो गई।