लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार द्वारा बृहस्पतिवार को विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिये प्रस्तुत बजट को बड़ा ढोल करार देते हुए कहा कि इसमें आवाज तो बहुत है, मगर यह अंदर से खाली है। यादव यहां बजट पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। उन्होंने बजट को समाज के तमाम वर्गों के लिए निराशाजनक करार देते हुए कहा, यह बजट नहीं बड़ा ढोल है, जिसमें आवाज तो बहुत है मगर यह अंदर से खाली है। यह खोखला है। इस बजट का झोला खाली है। जनता को लग रहा है कि बजट आया ही नहीं है। वह पूछ रही है कि प्रवचन तो आ गया लेकिन बजट कब आएगा? उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने यहां संवाददाता सम्मेलन में आज प्रस्तुत बजट को मौजूदा सरकार का सेकंड लास्ट बजट बताते हुए आरोप लगाया, इस बजट में पिछड़े, दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों के लिए कुछ है ही नहीं। इस बजट में बड़े पैमाने पर इन वर्गों और आधी आबादी के साथ भेदभाव किया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार उत्तर प्रदेश को एक हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था वाला राज्य बनाने की बात करती है लेकिन जिस तरीके से विकास दर का हाल है उस हिसाब से तो सरकार एक हजार अरब डॉलर के लक्षय़ तक कभी नहीं पहुंच सकेगी।
सपा प्रमुख ने कहा, बजट देखकर किसानों की उम्मीदों का खेत सूख गया है। बजट देखकर महिलाओं के माथे पर घर चलाने की चिंता की लकीरें और बढ़ गई हैं। बजट देखकर बेरोजगारों की आंखों के सामने अंधेरा छा गया है, व्यापारियों और दुकानदारों पर मंदी की मार और गहरा गई है। यादव ने भाजपा विधायकों और मंत्रियों पर तंज करते हुए कहा, जो वहां (विधानसभा सदन में) मेजें पीट रहे थे, बजट देखकर भाजपा के उन मंत्रियों और विधायकों के गले सूख गए हैं, क्योंकि अपने विभागों और विधानसभा क्षेत्रों में तो उन्हें ही महंगाई और बेरोजगारी के सवालों का सामना करना पड़ेगा। उन्हें गुस्से का भी सामना करना पड़ेगा क्योंकि विधायकों और मंत्रियों को ही जनता का सामना करना पड़ता है। वह महंगाई का और बेरोजगारी का क्या जवाब देंगे? उन्होंने कहा, बजट देखकर बुनकरों का ताना-बाना रुक गया है और हथकरघे खामोश हो गए हैं। बजट देखकर जनता पूछ रही है कि जुमला मंत्रलय के लिए कितना बजट आवंटित किया गया है।
यादव ने किसी का नाम लिये बगैर कटाक्ष किया, हालांकि अंग्रेजी की एक कहावत है कि ‘साइलेंस इज गोल्ड’। जब हम संस्कृत में उससे मिलती-जुलती उक्ति बोलें तो उसका मतलब है कि विद्वानों की सभा में मूर्ख के लिए मौन ही आभूषण होता है..। उन्होंने कहा कि इस सरकार के पिछले कई बजट को अगर देखें तो यह जो बजट है उसका इनके (भाजपा के) घोषणा पत्र से कोई तालमेल नहीं है। उनके मुताबिक, इस बजट का, और इससे पहले के बजट का भी कोई फोकस नहीं रहा तथा ‘बिना विजन’ के बजट पेश किए गए हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार का कोई रोड मैप तैयार नहीं था कि किस दिशा में उत्तर प्रदेश को ले जाना है और पिछले तमाम बजट में कोई स्पष्टता नहीं है।
यादव ने कहा, हर बार बजट पेश किया जाता है और सरकार यही कहती है कि यह उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा बजट है। यह शब्द हर सरकार हर बजट के लिए इस्तेमाल कर सकती है क्योंकि अगला जो भी बजट होगा वह जाहिर है कि पिछले बजट से बड़ा ही होगा। यह कहना कि सबसे बड़ा बजट पेश हो रहा है, यह सोचने की बात है। प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने राज्य विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 8,08,736 करोड़ रुपये का बजट पेश किया। यह उत्तर प्रदेश के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा बजट है। इसका आकार वर्ष 2024-2025 के बजट से 9.8 प्रतिशत अधिक है। प्रस्तावित बजट में 28 हजार 478 करोड़ 34 लाख रुपये (28,478.34 करोड़) की नयी योजनाएं शामिल की गयी हैं।
यादव ने कहा, बजट का कोई भी हिस्सा विधानसभा चुनावों के लिये जारी हुए उसके संकल्प पत्र के वादों से मेल नहीं खाता। भाजपा ने अगले पांच वर्षों में किसानों को सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली उपलब्ध कराने का वादा किया था। इस सरकार के इतने बजट आ चुके हैं, लेकिन यह वादा पूरा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि इसी तरह उसने 25 हजार करोड़ रुपये की लागत से सरदार वल्लभभाई पटेल एग्रो इंफ्रास्ट्रर मिशन बनाकर प्रदेश भर के किसानों की मदद करने का वादा किया था लेकिन अब तक भाजपा के नौ बजट आ चुके हैं, किसी में भी यह वादा पूरा नहीं हुआ।