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अमृतसर आरटीए में लाईसैंस बनाने को लेकर चल रही धांधली की शिकायत मुख्यमंत्री दफ्तर से पहुंची विजिलैंस ब्यूरो दफ्तर

चंडीगढ: अमृतसर आरटीए में लाइसैंस बनाने को लेकर बडी धांधली चल रही है और यह दावा समाज सेवी अमृतपाल सिंह बबलू (स्टेट अवार्डी)ने किया है। इस मामले को लेकर बबलू ने मुख्यमंत्री दफतर में शिकायत भी की थी जिसे की अमृतसर विजिलैंस को मार्क कर दिया गया था। जांच के बाद मामले में बडी कार्रवाई.

चंडीगढ: अमृतसर आरटीए में लाइसैंस बनाने को लेकर बडी धांधली चल रही है और यह दावा समाज सेवी अमृतपाल सिंह बबलू (स्टेट अवार्डी)ने किया है। इस मामले को लेकर बबलू ने मुख्यमंत्री दफतर में शिकायत भी की थी जिसे की अमृतसर विजिलैंस को मार्क कर दिया गया था। जांच के बाद मामले में बडी कार्रवाई हो सकती है।

शिकायत में बबलू ने दावा किया है कि अमृतसर आरटीए में प्रतिदिन 170 के करीब लाइसैंस के लिए टेस्ट लिए जाते हैं।और इस आंकडे में केवल 40 प्रतिशत टेस्ट ही असल होते हैं बाकी के टेस्ट सिरफ कागजों में होते हैं औऱ आवेदक मौके पर मौजूद होते ही नहीं हैं जिसके तहत 60 प्रतिशत लोग बिना ट्रेक पर टेस्ट दिए ही लाइसैंस हासिल कर लेते हैं।औऱ यह सब आरटीए की काली भेडों की मिलीभगत से होता है।इस तरह काली भेडें अपनी जेबें गरम करती हैं।

बबलू ने शिकायत में जिकर किया है कि बिना टेस्ट के अगर लाइसैंस प्राप्त करना है तो उसके लिए दो हजार रुपए बसूले जाते हैं और अगर कोई व्यक्ति विदेश में है और उसे अपना ड्राइविंग लाइसैंस तैयार कराना है तो उससे 20 हजार रुपए बसूले जाते हैं। शिकायत के मुताबिक हर चीज को प्राप्त करने का कुछ काली भेडों द्वारा अलग रेट रखा गया है।

अमृतपाल बबलू का कहना है कि उनके पास इस सारी धांधली को लेकर पुख्ता सबूत हैं।बबलू के मुताबिक इस धांधली से से हर माह लगभग 1.84 करोड बनाए जाते हैं जिन्हें की बाद में कुछ सरकारी काली भेडें आपस में बांट लेती हैं।बबलू ने कहा कि अब जांच विजिलैंस के पास आ गई है और वह सारे सबूत विजिलैंस को दे चुके हैं अब मामले में उनके बयान होना बाकी हैं। और उन्हें विशवाश है कि विजिलैंस जांच में आरोपी पाए जाने वाले सभी भ्रष्ट लोगों पर कार्रवाई करेगी।
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पहले भी दो जिलों के डीसी ने की थी मामले की जांच

बता दें कि इससे पहले भी अमृतपाल ने आरटीए स्कैम को लेकर सरकार को एक शिकायत दी थी और तब मामले की जांच अमृतसर और गुरदासपुर के डीसी को सौंपी गई थी लेकिन उस समय जांच के लिए दोनों डीसी को सिरफ दस दिन का समय दिया गया था जिसके चलते वह जांच अधिकारियों को आधे ही सबूत दे पाए थे। जांच के लिए अधिकारियों को कम समय मिला था और इसी के चलते जल्दबाजी में जांच की गई थी।

हालाकि मामले में ड्राइविंग ट्रेक को मैनेज करने वाले एक प्राइवेट अधिकारी को दोषी पाए जाने पर नौकरी से निकाल दिया गया था। इस मामले में जिस आईडी से प्राइवेट अधिकारी ने लोगइन कर गलत तरीके से लाइसैंस तैयार करवाया था वह आईडी एक सरकारी कर्मचारी की थी।उक्त सरकारी कर्मचारी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई थी।इस पूरे मामले को लेकर जल्द दैनिक सवेरा और खुलासे करेगा।

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