सीडीएस का टेस्ट पास कर हरियाणा की बेटी बनी लेफ्टिनेंट, आल इंडिया में हासिल किया 15वां रैंक

कंबाइंड डिफेंस सर्विस का रिजल्ट आते ही सांपला की बेटी इशिता ओहल्याण की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। क्योंकि उसने पूरे देश में 15वीं रैंक हासिल कर यह टेस्ट पास किया है और अब वे भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर देश सेवा करेंगी। इशिता की मंशा है कि वह फ्रंट पर रह कर.

कंबाइंड डिफेंस सर्विस का रिजल्ट आते ही सांपला की बेटी इशिता ओहल्याण की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। क्योंकि उसने पूरे देश में 15वीं रैंक हासिल कर यह टेस्ट पास किया है और अब वे भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर देश सेवा करेंगी। इशिता की मंशा है कि वह फ्रंट पर रह कर के देश की सुरक्षा करें। परिवार में भी खुशी का माहौल है और मिठाइयां खिलाकर खुशी मनाई जा रही है। पिता का कहना है कि मन में कुछ करने का जुनून हो तो हर मुकाम हासिल किया जा सकता है।

इशिता ओहल्याण के दादा ओम सिंह सेना से सूबेदार के पद से रिटायर हुए हैं और अपने पोते पोतियो को सेना में अपने द्वारा दी गई सेवाओं की कहानियां क्या सुनाई, इशिता ने सेना में अफसर के पद पर जाने का सपना संजो डाला। हालांकि अपनी ग्रेजुएशन कॉमर्स पैटर्न से की थी। लेकिन मन में इच्छा तो सेना में अफसर बनने की थी। इसलिए उसने इसके लिए अपनी तैयारियां शुरू कर दी और परीक्षा देने के बाद जब कल रिजल्ट आया तो उसकी खुशी का ठिकाना ना रहा। इशिता ने पूरे देश में 15वां रेंक हासिल कर टेस्ट पास किया है और सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर सेवाएं देंगी। बेटी की इस उपलब्धि पर परिवार भी काफी खुश है और मिठाइयां बात करके खुशियां मनाई जा रही है।

इशिता ने कहा कि मेरे दादा सेना से सूबेदार के पद से रिटायर हुए हैं और वे अपनी सेना की सेवाओं की कहानियां सुनाते थे। जिसके बाद उनकी सेना में जाकर सेवाएं देने की इच्छा हुई। जिसके चलते ग्रेजुएशन में कॉमर्स होते हुए भी उन्होंने एनएससी ही ज्वाइन की और सेना के बारे में बहुत कुछ जाना। इस मुकाम तक पहुंचने के लिए परिवार ने भी उन्हें काफी सहयोग दिया। इशिता ने कहा कि हालांकि सेना में महिलाओं को फ्रंट लाइन पर कम भेजा जाता है। लेकिन वे चाहती हैं कि फ्रंटलाइन पर जाकर के देश की सेवा करें। अब उनकी इच्छा है कि वह अपने दादा के हाथ से अपने कंधे पर स्टार लगवाए।

पिता जोगिंदर कोच ने कहा कि बेटी की इस उपलब्धि पर वह काफी खुश हैं और बेटियां किसी से कम नहीं है। आजकल हर क्षेत्र में बेटियां अपना परचम लहरा रही है, तो फिर सेना में क्यों नहीं। बेटी की इस मेहनत के लिए परिवार ने उसका बहुत उत्साहवर्धन किया और वह अन्य लोगों से भी यही कहना चाहते हैं कि बेटियों को कम नहीं समझना चाहिए।

 

 

 

 

 

 

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