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2 दिन के लिए दिए गए आदेश के बाद किसानों की नारनौल अनाज मंडी में लग गई भीड़

नारनौल: सरकार द्वारा एक बार फिर से सरकारी समर्थन मूल्य पर सरसों की खरीद के 2 दिन के लिए दिए गए आदेश के बाद किसानों की नारनौल अनाज मंडी में भीड़ लग गई है किसान भारी संख्या में सरसों की फसल बेचने के लिए मंडी में ला रहा है मंडी के बाहर किसानों की लंबी.

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नारनौल: सरकार द्वारा एक बार फिर से सरकारी समर्थन मूल्य पर सरसों की खरीद के 2 दिन के लिए दिए गए आदेश के बाद किसानों की नारनौल अनाज मंडी में भीड़ लग गई है किसान भारी संख्या में सरसों की फसल बेचने के लिए मंडी में ला रहा है मंडी के बाहर किसानों की लंबी लाइनें लगी है तो वहीं मंडी के अंदर किसान मार्केट कमेटी से अपनी फसल बेचने के लिए टोकन लेने को लाइनों में लगा है यही नहीं बल्कि किसानों की माने तो काफी संख्या में किसान आज रात से ही टोकन लेने के लिए लाइन में लग गया था लेकिन उन्हें कई घंटों इंतजार के बाद भी टोकन नहीं मिल पा रहे हैं नारनौल की अनाज मंडी में टोकन लेने के लिए महिलाओं की भी काफी लंबी लाइन देखने को मिली इस दौरान महिलाओं का कहना था कि वह सुबह से टोकन लेने के लिए लाइन में लगी हैं और अब दोपहर बाद उनके बच्चे स्कूल से घर आ जाएंगे ऐसे में उन्हें घर जाकर बच्चों के लिए खाना भी बनाना है लाइनों में लगी महिलाएं मार्केट कमेटी की व्यवस्थाओं से काफी नाराज दिखाई दी।

अपनी सरसों बेचने के लिए आए किसान टोकन लेने के लिए लंबी-लंबी लाइनों में लगे हुए हैं लाइनों में लगे किसानों का कहना है कि मार्केट कमेटी की व्यवस्थाएं ठीक नहीं होने से उन्हें घंटों लाइन में लगना पड़ रहा है यही नहीं बल्कि मंडी में न ही तो किसानों के लिए बैठने की व्यवस्था की गई है और ना ही पीने के पानी की व्यवस्था है ऐसे में किसानों को घंटों धूप में खड़े हो कर लाइन में लगना पड़ रहा है किसानों ने सरकार से मांग भी की है कि सरसों की खरीद का समय 8 दिन के लिए और बढ़ाया जाए ताकि किसान अपनी फसल को आराम से बेच सकें

अप्रैल को सरसों की सरकारी खरीद बंद होने के बाद अब सरकार ने 2 दिन के लिए सरकारी समर्थन मूल्य पर सरसों खरीद के आदेश दिए हैं जिसको लेकर नारनौल की अनाज मंडी में किसानों की लंबी लाइनें लग गई किसानों की मांग है कि सरसों खरीद का समय बढ़ाया जाए साथ ही किसानों का यह भी आरोप है कि उन्हें टोकन लेने के लिए घंटों लाइनों में लगना पड़ रहा है और न ही यहां पर पीने के पानी की व्यवस्था है और ना ही किसान के बैठने की

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