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सरकार सुरक्षा उपायों को नहीं चाहती थी, इसलिए DNA विधेयक लिया वापस : Jairam Ramesh

नई दिल्लीः कांग्रेस ने लोकसभा से ‘डीएनए प्रौद्योगिकी (प्रयोग और लागू होना) विनियमन विधेयक, 2019’ वापस लिए जाने को लेकर मंगलवार को सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने यह फैसला किया क्योंकि वह विज्ञान, प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, वन और जलवायु संबंधी स्थायी समिति द्वारा सुझाए गए सुरक्षा उपायों को इसका हिस्सा.

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नई दिल्लीः कांग्रेस ने लोकसभा से ‘डीएनए प्रौद्योगिकी (प्रयोग और लागू होना) विनियमन विधेयक, 2019’ वापस लिए जाने को लेकर मंगलवार को सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने यह फैसला किया क्योंकि वह विज्ञान, प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, वन और जलवायु संबंधी स्थायी समिति द्वारा सुझाए गए सुरक्षा उपायों को इसका हिस्सा नहीं बनाना चाहती थी। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि सरकार ने इस विधेयक को चुपचाप तरीके से वापस लिया है।

सरकार ने सोमवार को लोकसभा से ‘डीएनए प्रौद्योगिकी (प्रयोग और लागू होना) विनियमन विधेयक, 2019’ वापस ले लिया। विधेयक में पीड़ितों, अपराधियों, संदिग्धों, विचाराधीन कैदियों, लापता और अज्ञत मृत व्यक्तियों सहित कुछ श्रेणियों के व्यक्तियों की पहचान स्थापित करने और उनसे जुड़े मामलों के लिए ‘डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड’ (डीएनए) तकनीक के उपयोग और अनुप्रयोग के विनियमन का प्रावधान किया गया है।

इस विधेयक को 8 जुलाई 2019 को पेश किया गया था और इसे विचारार्थ विज्ञन, प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, वन और जलवायु संबंधी स्थायी समिति को भेज दिया गया था। रमेश ने ट्वीट किया, कि ‘कल मोदी सरकार ने चुपचाप ढंग से डीएनए विनियमन विधेयक, 2019 वापस ले लिया। विधेयक की विज्ञन एवं प्रौद्योगिकी संबंधी स्थायी समिति ने विस्तृत ढंग से विचार किया था। समिति ने यह सुनिश्चित करने के लिए कई महत्वपूर्ण संशोधनों का सुझाव दिया था कि विधेयक के प्रावधानों का दुरुपयोग न हो।’’ उनका कहना है, ‘‘ समिति के कुछ सदस्यों ने असहमति के नोट भी प्रस्तुत किये थे।

समिति की रिपोर्ट 3 फरवरी, 2021 को प्रस्तुत की गई।’’ रमेश के अनुसार, ‘‘अब मोदी सरकार का कहना है कि विधेयक के अधिकांश प्रावधानों को पहले ही आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) अधिनियम, 2022 का हिस्सा बना दिया गया है और इसलिए डीएनए विधेयक की आवशय़कता नहीं है।’’ उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘असली कारण यह है कि मोदी सरकार स्थायी समिति द्वारा सुझाए गए विस्तृत सुरक्षा उपायों को नहीं चाहती थी और ऐसे में उसने अपनी रिपोर्ट जल्द सौंपने के लिए दबाव डालने के बाद उसने इसे नजरअंदाज करने का फैसला किया।’’ रमेश ने कहा, कि ‘सरकार के इस डीएनए विधेयक के आलोचकों की आशंकाएं अब पूरी तरह से उचित हैं।’’

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